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________________ वर्धमानसूरिकृत आचारदिनकर में प्रतिपादित संस्कारों का तुलनात्मक एवं समीक्षात्मक अध्ययन (अ) गृहस्थ के सोलह संस्कार - आचारदिनकर में प्रथम उदय से लेकर सोलह उदय तक ग्रन्थकार ने गृहस्थ के षोडश संस्कारों की विधि उल्लेखित की है। गृहस्थ के इन षोडश संस्कारों में ग्रन्थकार ने जन्म के पूर्व से लेकर मृत्युपर्यन्त के विधि-विधानों का उल्लेख किया है, जिन्हें हम निम्न बिन्दुओं के माध्यम से देखेंगे : १. प्रथम उदय में गर्भाधान नामक संस्कार की विधि प्रतिपादित की गई २. द्वितीय उदय में पुंसवन-संस्कार की विधि विवेचित की गई है। ३. तृतीय उदय में जातकर्म-संस्कार की विधि कही गई है। ४. चौथे उदय में सूर्य-चन्द्र-दर्शन की विधि वर्णित की गई है। ५. पाँचवें उदय में क्षीराशन-विधि का वर्णन किया गया है। ६. छठवें उदय में षष्टी-जागरण और माताओं (देवियों) की पूजा का विधान बताया गया है। ७. सातवें उदय में शुचिकर्म का वर्णन किया गया है। ८. आठवें उदय मे नामकरण, ग्रहलग्नादि की पूजा एवं मण्डल-पूजन की विधि का उल्लेख किया गया है। ६. नौवें उदय में अन्नप्राशन-संस्कार की विधि उल्लेखित है। १०. दसवें उदय में कर्णछेदन की विधि का उल्लेख किया गया है। ११. ग्यारहवें उदय में मुण्डन की विधि बताई गई है। १२. बारहवें उदय में उपनयन-संस्कार का उल्लेख है। इसमें जिन-उपवीत का स्वरूप, उसकी विधि, व्रतधारण एवं व्रतादेश का विवेचन है। साथ ही व्रत-विसर्जन एवं गोदान का भी उल्लेख है। इसी उदय में चारों वर्गों के उपवीत-संस्कार में व्रतग्रहण की शिक्षा तथा शूद्र के बटुककरण में उत्तरीय धारण करने की विधि का भी उल्लेख है। १३. तेरहवें उदय में अध्ययन-विधि का उल्लेख किया गया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001671
Book TitleJain Sanskar Evam Vidhi Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMokshratnashreejiji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Vidhi, & Culture
File Size24 MB
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