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साध्वी मोक्षरत्ना श्री
तृतीय अधिकार में श्रावकों के व्रतों के करोड़ों भागों (विभिन्न विकल्पों) के साथ श्रावक के व्रत और अभिग्रहों के प्रत्याख्यान की विधि निरूपित है। चौथे अधिकार में उपासक - प्रतिमा की नंदी - विधि अंकित है।
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पांचवें अधिकार में उपासक - प्रतिमाओं के अनुष्ठान की विधि प्रवेदित है । छठवें अधिकार में उपधान- नंदी की विधि दी गई है।
सातवें अधिकार में उपधान की विधि बताई गई है।
आठवें अधिकार में मालारोपण की नंदी - विधि का उल्लेख है।
नौवें अधिकार में सामायिक ग्रहण करने की विधि प्रज्ञप्त है।
दसवें अधिकार में पौषध ग्रहण करने की विधि कही गई है। ग्यारहवें अधिकार में सामायिक और पौषध पारने की विधि उल्लेखित है। बारहवें अधिकार में पौषधिक - दिनकृत्य - विधि की निरूपणा है।
तेरहवें अधिकार में तपकुलक की चर्चा है।
चौदहवें अधिकार में तपयंत्र का वर्णन है।
मूलग्रन्थ में पन्द्रहवें अधिकार की विषय- सामग्री का वर्णन नहीं मिलता
सोलहवें अधिकार में श्रावक के प्रायश्चित्तों का यन्त्र वर्णित है।
सत्रहवें अधिकार में प्रव्रजना ( प्रव्रज्या) - विधि का उल्लेख है।
अठारहवें अधिकार में लोचप्रवेदन (अनुमति) की विधि कही गई है। उन्नीसवें अधिकार में उपस्थापना - विधि बताई गई है।
बीसवें अधिकार में उपस्थापना की कथा प्रवेदित की गई है।
इक्कीसवें अधिकार में रात्रिक - दैवसिक-पाक्षिक - प्रतिक्रमण से युक्त साधु की दिनचर्या - विधि का उल्लेख है।
बाईसवें अधिकार में योग उत्क्षेप एवं निक्षेपपूर्वक नंदी - विधि का वर्णन किया गया है।
तेईसवें अधिकार में योग अनुष्ठान की विधि कही गई है।
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