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________________ अव्यय एवं उपसर्ग ] मुहु. ( मुहुः ) बार-बार मा (मा) निषेध माई (मा) नहीं ( माई काहीअ रोस = माऽकार्षीद् रोषम् ) मामि, हला, हले, दे, सहि- सखि के आमन्त्रण में भाग १ : व्याकरण मोरउल्ला ( मुधा ) व्यर्थ य (च ) और रहो ( ह्यः ) कल ( बीता हुआ ) र, इ, जे - पादपूरक रहो ( रहः ) एकान्त रे-संभाषण लहु (लघु) शीघ्र बणे - निश्चय, विकल्प, अनुकम्पा वे ( वै ) निश्चय वेअ ( एव ) अवधारण वेव्व-आमन्त्रण वेव्वे-भय, वारण, विषाद, आमन्त्रण च्व, व, विअ ( इव ) समान स (सदा ) सदा सह ( सकृत् ) एक बार सक्खं ( साक्षात् ) प्रत्यक्ष सज्जो ( सद्यः ) शीघ्र सद्धि ( सार्धम् ) साथ सनि ( शनैः) धीरे संपक्विं (सपक्षम् ) सपक्ष Jain Education International समं (समम् ) साथ सम्मं (सम्यक् ) भली प्रकार सयं (स्वयम् ) स्वयं सया (सदा ) हमेशा सव्वओ ( सर्वतः ) सभी ओर सह (सह) साथ [ ५७ सहसा (सहसा ) अचानक सिय, सिअ (स्यात्) कथञ्चित् सुवत्थि ( स्वस्ति) कल्याण सुवे ( श्वः ) कल ( आने वाला) सू — निन्दासूचक हरे ( अरे) आक्षेप, रतिकलह, संभाषण हला - सखी के लिए सम्बोधन हला ( इला ) सखी के आमन्त्रण में हले, मामि (हले) सखी के आमन्त्रण में हद्धि ( हा धिक् !) निर्वेद, खिन्नता हन्द -- ग्रहण करो हन्दि -- विषाद, पश्चात्ताप आदि हिर (किल) निश्चय हु, खु - निश्चय, वितर्क, संभावना, विस्मय हुं (हुम्) दान, पृच्छा और निवारण ( हुं गेव्ह अप्पणी चिचअ - हुं गृहाण आत्मनः एव । हुं साहसु सब्भावं = हुं कथय सद्भावम् । हुं निल्लज्ज समोसर - हुं निर्लज्ज समवसर) 1 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001669
Book TitlePrakrit Dipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2005
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size13 MB
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