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________________ २४] प्राकृत-दीपिका [ तृतीय अध्याय (३) अक्षि ( आंख ) के पर्यायवाचक शब्द तथा वचनादिगण में पठित शब्द विकल्प से पु. ( विकल्पाभाव में नपुं० ) में प्रयुक्त होते हैं।' 'अक्षि' शब्द अञ्जल्यादिगण में पठित होने से वह स्त्री० में भी प्रयुक्त होता है-- (क) अक्षिवाचक--अच्छी (पु.), अच्छि (नपु०), एसा अच्छी ( स्त्री०), अक्खी अक्खि ( अक्षि ), गयणं णयणो ( नयनम् ), नेत्तो नेत्तं ( नेत्रम् ), चक्खू चक्खु ( चक्षुः ), लोअणो लोअणं (लोचनम् (संस्कृत में सभी नपुं०)। (ख) वचनादिगण---वयणो वयणं ( वचनम् ), कुलो कुलं ( कुलम् ), माहप्पो माहप्पं (माहात्म्यम्), छन्दो छन्दं (छन्दम् ), दुक्खो दुक्खं ( दुःखम् ), भायणो भायणं ( भाजनम् ), कमलो कमलं ( कमलम् ) ( संस्कृत में सभी मपु० )। (४) गुणादि शब्द ( जो संस्कृत में पु० हैं ) विकल्प से नपु० (अन्यत्र पु०) में प्रयुक्त होने हैं---गुणं गुणो ( गुण: ), देवं देवो ( देवः ), खग्गं खग्गो (खड्गः ), मंडलग्गं मंडलग्गो ( मंडलाय:), कररुहं कररुहो (कररुहः), रुक्खं रुक्खो ( वृक्षः ), बिन्दूई बिन्दुणो ( विन्दवः )। (५) अञ्जल्यादि गण के शब्द विकल्प से स्त्रीलिङ्ग में प्रयुक्त होते हैं:---- एसा अंजली एसो भंजली ( एष अञ्जलि: ), पिट्ठी पिट्ठ (पृष्ठम्), एसा अच्छी एसो अच्छी (पुं० ) अच्छि ( अक्षिः, सं० न० ), पण्हा पण्हो ( प्रश्नः ), चोरिआ चोरिओ ( चौर्यम् ), एसा कुच्छी एसो कुच्छी ( कुक्षिः ), एसा बली एसो बली (बलि: ), एसा निही एसो निही ( निधिः ), एसा रस्सी एसो रस्सी ( रश्मिः ), एसा विही एसो विही (विधिः ), एसा यंठी एसो गंठी ( ग्रन्थिः )। : (६) इमनान्त ( 'इमन्' प्रत्ययान्त ) शब्द विकल्प से स्त्रीलिङ्ग ( विकल्पा१. वाक्ष्यार्थवचनाद्याः । हे० ८. १. ३३. २. गुणाद्याः क्लीबे वा । हे० ८. १. ३४. ३. पृष्ठाक्षिप्रश्नाः स्त्रियां वा । वर० ४. २०. वही, वृत्ति ( अञ्जल्यादिपाठादक्षिशब्दः स्त्रीलिङ्गेऽपि )। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001669
Book TitlePrakrit Dipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2005
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size13 MB
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