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________________ ( 22 ) बाम अध्याय समास ७३-८२ [अव्ययीभाव ७५, तत्पुरुष ७६, कर्मधारय ७७, द्विगु । ७८, बहुव्रीहि ७९, द्वन्द्व ८१] एकावय अध्याय शब्दरूप . ८३-१०३ [संज्ञा-पु. पुरिस ८७; देव ८७, हरि ८९, अग्गि ८९, साहु ९०, वाउ ९०, पिउ ९१, राय ९१, अप्पाण ९२, स्त्री० बाला ९२, जुवइ ९३, नई ९३, घेणु ९४, बहू ९४, नपुं० फल ९४, वारि ९४, वत्थु ९६, सर्वनामसय ९६, त ९७, इम ९८, अमु ९८, अम्ह ९९, तुम्ह ९९, संख्यावाचक-संख्यायें १००, एग १०२, दो-दह १०३, वीसा १०३, कइ १०३, उभ १०३] द्वादश अध्याय धातुरूप १०४-१०९ [ अकारान्त अस १०४, हस १०७, आकारान्त पा १०८, एकारान्त ने १०९, ओकारान्त हो १०९ ] प्रयोदय अध्याय प्रत्ययान्त धातुएं ११०-११४ [ कर्म-भाववाच्य क्रियायें ११०, प्रेरणार्थक १११, सन्नन्त ११२, यङन्त ११३, यङ लुगन्त ११३, नाम धातु ११३ ] चतुवंश अध्याय विविध प्राकृत भाषाएँ ११५-१३८ [ महाराष्ट्री ११५, जैन महाराष्ट्री ११६, शौरसेनी (नाटकीय) ११८, जैन शौरसेनी १२१, मागधी १२३, अर्धमागधी (आष) १२६, पैशाची १३०, चूलिका पंशाची १३३, अपभ्रंश १३४ ] भाग २ : अनुवाद १३९-१७२ पाठ १ सामान्य वर्तमान काल १३९ पाठ २ सामान्य वर्तमान काल (विभक्तियों का सामान्य प्रयोग) १४१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001669
Book TitlePrakrit Dipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2005
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size13 MB
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