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________________ सम्बन्धार्थं एवं अधिकरण कारक ] भाग २ अनुवाद ४७. निम्नोक्त स्थलों में सप्तमी विभक्ति होती है(क) अधिकरण कारक में । (ख) जिस समुदाय से छांटा जाए ( षष्ठी भी) । (ग) सामी, ईसर, अहिवइ, दायाद, साखी, पडिहू और पसूअ इन सात शब्दों के योग में ( षष्ठी भी ) । अभ्यास (क) प्राकृत में अनुवाद कीजिए मनोरमा सभी छात्राओं में श्रेष्ठ है । यह मेरा विचार है । कवियों में कालिदास कविराज है । वह किस निमित्त से यहाँ रहती है ? तुम्हारी पुस्तक कहाँ है ? मैं इन महलों का स्वामी हूँ । क्या वह तुम्हारी बहिन नहीं है ? क्या राजा विद्वानों का सम्मान नहीं करता है ? जीवों में मनुष्य जन्म उत्तम है । यह बैल (वसह ) रसोइया (पाचअ ) का है । क्या यह पुस्तकों की दुकान है। माता की गोद में बच्चा सोता है । है । उन सब स्त्रियों में सौन्दर्य ( लावण्णं ) है । पूर्णिमा की रात्रि में ( निसाए ) चांदनी ( चंदिभा ) दिखलाई देती है । उसके ललाट ( भाले ) पर कान्ति ( कंति ) है । राजा महल में रहता (स्व) हिन्दी में अनुवाद कीजिए— घेणूए दुद्ध महुरं होई । तुज्झ अभिहाणो ( नाम ) कि अत्थि ? अम्हाण पुत्थआणि कत्थ संति ? इमाणि कमलाणि दासीआ संति । इमस्त विजणस्स मोल्लं किं अत्थि ? इमाण मोतियाण सामी को अत्थि ? कंचणचंडी तंबोलाण ( पान ) ववहारो करेइ । तुम्हेसु को लहु अत्थि ? अम्हम्मि बहवा अवगुणा संति । उदहिम्मि रयणाणि संति । कासु जुवईसु लज्जा णत्थि ? संझाए तुम्हम्मि विज्जालये सागयं होहिसि । किं संसारस संहता इसरो अस्थि ? वासुदेवो पाडलिपुत्तम्मि णिवसइ । हीरओ सब्वेसु मुल्लअमो अतिव पाठ २० तद्धित प्रत्ययान्त वाक्य उदाहरण वाक्य | तद्धित-प्रत्ययों के प्रयोग ] १. मैंने हजार बार उससे कहा है-मए सहस्सहत्तं तं भणियं । २. तुम्हारी प्रतिष्ठा सर्वत्र है तुम्हके रो पड्ट्ठा सव्वत्थ अस्थि । Jain Education International [ १७१ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001669
Book TitlePrakrit Dipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2005
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size13 MB
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