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________________ विविध प्राकृत भाषायें ] भाग १ : व्याकरण [१३५ किस आधुनिक आर्य भाषा की उत्पत्ति हुई है ? इस सन्दर्भ में निम्न तथ्य हैं १. महाराष्ट्री अपभ्रंश से मराठी और कोंकणी। २. मागधी अपभ्रंश (पूर्वी शाखा ) से बंगला, उड़िया और आसामी । ३. मागधी अपभ्रंश (बिहारी शाखा ) से मैथिली, मगही और भोजपुरी। ४. अर्धमागधी अपभ्रंश से पूर्वी हिन्दी भाषायें ( अवधी, बघेली और छत्तीसगढ़ी)। ५. शौरसेनी अपभ्रंश से बुन्देली, कन्नौजी, ब्रज, बांगरू और हिन्दी । ६. नागर अपभ्रंश से राजस्थानी, मालवी, मेवाड़ी, जयपुरी, मारवाड़ी तथा गुजराती। ७. पालि से सिंहली और मालदीवन । ८. टाक्की ( ढाक्की ) से लहण्डी या पश्चिमीय पंजाबी । ६ टाक्की अपभ्रंश ( शौरसेनी मिश्रित ) से पूर्वीय पंजाबी। १०. ब्राचड अपभ्रश से सिन्धी। ११. पैशाची अपभ्रंश से काश्मीरी । नोट-अपभ्रंश को उकार और हकार बहुला कहा जाता है। प्रमुख विशेषताएं। . (१) कभी-कभी ऋकार की उपस्थिति-तृण >तृणु तणु, गृह्णाति > गृण्हइ, सुकृतः>सुकृदु । (२) स्वरों की अनियमितता। जैसे-(क) अन्तिम दीर्घ स्वर का ह्रस्व स्वरसीता>सीया>सीय, कन्या>कण्णा>कण्ण, मालामाल, संन् >संझा> संझ। (ख) एक स्वर के स्थान पर दूसरे स्वर का प्रयोग- पृष्ठ >पुट्टि पट्टि, रेखा>लिह लीह, बाहु>बाहा बाहु, विना>विणु, वीणा >वीणु । (ग) ह्रस्व स्वर का दीर्घ और दीर्घ का ह्रस्व-प्रविशति >पइसइ>पईसइ, कथानक > कहाणउ>काहाणउ । १. हे. ८. ४. ३२९-४४८. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001669
Book TitlePrakrit Dipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2005
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size13 MB
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