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प्राकृत-दीपिका
[ द्वादश अध्याय
एकवचन
मो४
भविष्यत्काल' एकवचन
बहुवचन प्र० पु० हिइ, हिए, स्सइ हिंति, हिते, हिरे, स्सन्ति म० पु० हिसि, हिसे, स्ससि हित्था, हिह, स्सह उ० पु० हिमि, हामि, सं, स्सामि हामो, हामु, हाम, हिमो, हिमु,हिम,
स्सामो,-मु,-म, हिस्सा, हित्था नोट--अकारान्त धातुओं में 'इ' भी जुड़ता है।
विध्यर्थक एवं आज्ञार्थक
बहुवचन प्र० पु० म० पु० उ० पु० . मु नोट-'सु' के स्थान पर इज्जसु, इज्जहि और इज्जे प्रत्यय भी जुड़ते हैं। कहीं-कहीं प्रत्यय का लोप भी होता है ।"
क्रियातिपत्ति (परस्पर संकेत वाले दो वाक्यों का एक संकेत-वाक्य बनने पर) सभी वचनों और सभी पुरुषों में-ज्ज, ज्जा, न्त, माण ।
१. भविष्यत्काल में धातु के अन्त्य 'अ' का 'इ' हो जाता है। जैसेहसिहिइ ।
२. वर्तमानकाल की तरह विध्यर्थक और आज्ञार्थक में कार्य होंगे। ३. देखिए, पृष्ठ १०५ फुटनोट नं० ३. ४. वही। ५. 'अतइज्जस्विज्जहीज्जे लुको वा । हे० ८. ३. १७५.
६. क्रियातिपत्ति में 'ज्ज' और 'ज्जा' प्रत्यय जुड़ने पर धातु के अन्त्य 'अ' का 'ए' हो जाता है । जैसे-हसेज्ज हसेज्जा।
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