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________________ शब्द रूप ] द्वि० एवं एअं एक्कं "" एगे दु, दो, वे (द्वि= दो) स० पंचसु-सु वह (दशन दस ) एए प्र० दह, दस द्वि० ار एक्के तृ० दहहि, दसहि शेष रूप प्र• दुवे, दोण्णि, वेण्णि, दो, वे तिणि, तओ "3 द्वि० तृ० दोहि, वेहि च०, प० दोन्हं, वेण्हं पं० दोहितो, हितो सं० दोसु, सु-सु एगं एअं Jain Education International भाग १ : व्याकरण च०, ष० दहहं, दसण्हं पं० दहाहितो, दसाहितो स० दहसु, दससु छाहितो छसु,-सु एक्कं 'सव्व' ति (त्रि = तीन ) ती हि - हि, -हि तिन्हं तीहितो, तीसुतो तीसुतीसु चऊसु, चउसु, सु पंच (पञ्चन् = पाँच, छ (षष् = छ) सत्त ( सप्तन् = सात ) अट्ठ (अष्टन् = आठ) णव (नवन्- नव) प्र० पंच ତ सत्त अट्ठ णव छ द्वि० तृ० पंचहि छहि च०, प० पंचण्हण्हं छण्हं पं० पंचाहितो एगाओ आओ एक्काओ एक ० शब्दवत् चलेंगे " सत्तहि वीसा वीसं वीसाए वीसाअ د. वीसाए वीसाए सत्तण्हं सत्ता हितो सत्तसु-सु एगं एअं एक्कं । बहु० वीसाओ " वी साहि वीसाणं वीसाहितो वीसासु चउ (चतुर = चार ) चत्तारो, चउरो, चत्तारि , चऊहि, -हिं, -हिं [ १०३ एगई, इणि एआई एक्काइ "" अट्ठहि अट्ठण्हं अट्ठाहिंतो अट्ठसु-तु णवसु वीसा कइ उभ, उह (विंशति = बोस ) ( कति = कितने ) ( उभय = दोनों) चउन्हं चउहितो, चउसुतो कइ कइ कई हि कइहं कईहितो कईसु For Private & Personal Use Only णव वहि णवण्हं वाहितो उभं, उहं उभे, उभा उभे हि उभहं उभाहितो उभेसु www.jainelibrary.org
SR No.001669
Book TitlePrakrit Dipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2005
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size13 MB
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