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________________ १०२ ] (३) प्रकार एवं क्रमवाचक संख्यायेंप्रकारवाचक विशेषण एगहा= एक प्रकार दुहा, दुविहा=दो प्रकार तिविहा- तीन प्रकार चउविह, चउहा = चार प्रकार पंचविह = पाँच प्रकार दसविह=दस प्रकार बहुहा, बहुविह = बहुत प्रकार अणेयविह= अनेक प्रकार णाणाविह= नाना प्रकार सयविह, सहा = सौ प्रकार सहस्सहा, सहस्सविह = हजार प्रकार दुसहस्सहा=दो हजार प्रकार (५) रूप - (४) अपूर्ण संख्यावाचक विशेषणपायो = चतुर्था स ( पाव हिस्सा ) अद्ध, अड्ं = आधा पाओणं, पाउण= पौना 8 सवायो, सवायं = सवाया १४ एग, एअ, एक्क (एक) पुं० एक० प्र० एगो एओ एए एक्को एक्के बहु० प्राकृत-दीपिका एगे Jain Education International - एक० एगा एआ एक्का स्त्री० बहु० एमाओ क्रमवाचक विशेषण पढमो= पहला बीओ, दुइयो=दूसरा तइओ-तीसरा चउत्थो=aौथा पंचमो=पाँचवाँ छट्टो छटवां = एआओ एक्काओ [ एकादश अध्याय सत्तमो=सातवाँ अट्ठमो=आठवाँ णवमो=नौवाँ दहमो = दसवाँ वीसइमो = बीसवाँ चउवीसइमो = चौबीसवाँ सययमो = सौवाँ अनंतयमो=अनन्तव सद्ध, सढे = डेढ़ १३ पाओणदो-पौने दो १३ सहृपंचमो साढ़े पाँच ५३ सड्ढदसमो= साढ़े दस १०३ एक० एगं एअं एकं For Private & Personal Use Only नपुं० बहु० एगाई, ई, णि एआई एक्काई www.jainelibrary.org
SR No.001669
Book TitlePrakrit Dipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2005
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size13 MB
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