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टिप्पण परिशिष्ट
हुम्मच प्रति के पाठान्तर प्रस्तावना में सचित किया है कि विश्वतत्त्वप्रकाश की एक ताडपत्रीय प्रति हुम्मच के श्रीदेवेन्द्रकीर्ति ग्रन्थभाण्डार में है। इस का लेखन शक १३६७ में मूड बिदुरे नगर में श्रीसमन्तभद्र के शिष्यों द्वारा किया गया था। इस के पाठान्तर सूडबिद्री के पण्डित श्री. के. भुजबलि शास्त्रीजी की कृपा से हमें प्राप्त हुए । इन्हें हम इस टिप्पण-परिशिष्टमें दे रहे हैं । इन में जो पाठ अधिक अच्छे हैं उन की पृष्ठ-पंक्ति संख्या रेखांकित है । जो पाठ स्पष्ट रूप से गलत है उन के बाद (x) यह चिन्ह दिया है। शेष पाठ विकल्प से स्वीकार किये जा सकते है। पृष्ठ पक्ति मुद्रित पाठ ताडपत्रीय प्रति का पाठान्तर २ ५ अथ
ननु ३ २ घ्याप्तिकत्वे
व्याप्तिकत्वेन (x) ३ ७ सिद्धत्वात्
सिद्धसाध्यत्वात् (x) ४ ४ तत्र
तस्य तत्र ४ ५ आसो ह्यवंचको
आप्तोऽप्यवंचको .४ ८ किंचिज्ज्ञानां
किंचिज्ज्ञानं (x) ४ १५ प्रतिबंधकप्रत्ययं
प्रतिबंधप्रत्ययं ५ ३ स्वभावे
स्वभावत्वे प्रत्यक्षाभावात्
प्रत्यक्षत्वाभावात् ६ २ प्रमाणस्य
प्रमाणत्वस्य वीतो देश
मितो देशः (१) (x) सादि
सादिः ७ ९ प्रत्यक्षत्वात्
प्रत्यक्षत्वात् पठवत् ८ ५ चैतन्यं
चैतन्यं जायते ८ ६ धातुकी
धातकी ८ १३ फलभोगे
भोगे (x) १० ११ अंगीकारे वा
पृथग्द्रव्यत्वांगीकारे वा
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