________________
२१०
परिशिष्ट
लक्षणानि कानि ? अस्तित्वं, वस्तुत्वं, द्रव्यत्वं, प्रमेयत्वम्, अगुरुलघुत्वं, प्रदेशत्वम्, चेतनत्वं, अचेतनत्वम्, मूर्तत्वम्, अमूर्तत्वं द्रव्याणां दश सामान्यगुणाः । प्रत्येकमष्टावष्टौ सर्वेषाम् ।
ज्ञानदर्शनसुखवीर्याणि स्पर्शरसगन्धवर्णाः गतिहेतुत्वं स्थितिहेतुत्वमवगाहनहेतुत्वं वर्तनाहेतुत्वं चेतनत्वमचेतनत्वं मूर्तत्वममूर्तत्वं द्रव्याणां षोडशविशेषगुणाः । प्रत्येक जीवपुद्गलयोः षट् । इतरेषां
शंका-लक्षण कौन-कौन हैं ?
समाधान-अस्तित्व, वस्तुत्व, द्रव्यत्व, प्रमेयत्व, अगुरुलघुत्व, प्रदेशत्व, चेतनत्व, अचेतनत्व, मूर्तत्व, अमूर्तत्व ये दस द्रव्योंके सामान्य गुण हैं। प्रत्येक द्रव्यमें आठ-आठ गुण होते हैं।
विशेषार्थ-'अस्ति' ( है ) के भावको अस्तित्व कहते हैं । अस्तित्वका अर्थ है- सद्रूपता । वस्तुके भावको वस्तुत्व कहते हैं। वस्तु सामान्य-विशेषात्मक या द्रव्यपर्यायात्मक होती है। द्रव्यके भावको द्रव्यत्व कहते हैं । प्रमेयके भावको प्रमेयत्व कहते हैं । प्रमेयका अर्थ होता है-प्रमाणके द्वारा ज्ञेय होना। इसो गुणके कारण द्रव्य किसी न किसीके ज्ञानका विषय होता है। अगुरुलघु के भावको अगुरुलघुत्व कहते हैं। आगममें . प्रत्येक द्रव्यमें अगुरुलघु नामक गुण माने गये हैं । इस गुणके कारण एक द्रव्य दूसरे द्रव्यरूप, एक गुण दूसरे गुणरूप परिणमन नहीं करता और न एक द्रव्यके गुण बिखरकर पृथक्-पृथक् हो जाते हैं । प्रदेशके भावको प्रदेशत्व कहते हैं। एक अविभागी पदगलपरमाण जितने क्षेत्रको रोकता है उसे प्रदेश कहते हैं। चेतनके भावको चेतनत्व कहते हैं। चेतनत्वका अर्थ है-चैतन्य अर्थात अनुभव करना। अचेतनके भावको अचेतनत्व कहते हैं। मर्तके भावको मूर्तत्व कहते हैं और जिसमें रूपादिगुण पाये जायें. उसे मूर्त कहते हैं । अमूर्त के भावको अमर्तत्व कहते है । जिसमें रूपादि न हों उसे अमूर्त कहते हैं । ये दस द्रव्योंके सामान्यगुण हैं । प्रत्येक द्रव्यमें इनमेंसे आठ-आठ गुण पाये जाते हैं। जीवद्रव्यमें अचेतनत्व और मूर्तत्व गुण नहीं है । पुद्गल द्रव्यमें चेतनत्व और अमूर्तत्व नहीं है । धर्म, अधर्म, आकाश और कालद्रव्यमें चेतनत्व और मूर्तत्व नहीं है, इस तरह प्रत्येक द्रव्यमें आठ-आठ गुण होते हैं ।
___ ज्ञान, दर्शन, सुख, वीर्य, स्पर्श, रस, गन्ध, वर्ण, गतिहेतुत्व, स्थितिहेतुत्व, अवगाहनहेतुत्व, वर्तनाहेतुत्व, चेतनत्व, अचेतनत्व, मूर्तत्व, अमूर्तत्व ये द्रव्योंके सोलह विशेष गुण हैं । जीव द्रव्यके ज्ञान, दर्शन, सुख, वीर्य, चेतनत्व और अमूर्तत्व ये छह विशेष गुण हैं । पुद्गल द्रव्यके स्पर्श, रस, गन्ध, वर्ण, अचेतनत्व और मूर्तत्व ये छह विशेष गुण हैं । धर्मद्रव्यके गतिहेतुत्व, अचेतनत्व और अमूर्तत्व ये तीन विशेष गुण हैं । अधर्म द्रव्यके
१. अस्ति इत्येतस्य भावोऽस्तित्वं सद्रूपत्वम् । वस्तुनो भावो वस्तुत्वं सामान्य विशेषात्मकं वस्तु । द्रव्यस्य भावो द्रव्यत्वम् । प्रमेयस्य भावः प्रमेयत्वं प्रमाणेन स्वपरस्वरूपं परिच्छेद्यं प्रमेयम् । अगुरुलघोर्भावोऽगुरुलघुत्वम् । सूक्ष्मा अवाग्गोचराः प्रतिक्षणं वर्तमाना आगमप्रामाण्यादभ्युपगम्या अगुरुलघुगुणाः । प्रदेशस्य भावः प्रदेशत्वं क्षेत्रत्वम्, अविभागिपुद्गलपरमाणुनावष्टब्धम् । चेतनस्य भावो चैतन्यमनुभवनम् । अचेतनस्य भावोऽचैतन्यम् । मूर्तस्य भावो मूर्तत्वं रूपादिमत्वम् । अमूर्तस्य भावोऽमूर्तत्वं रूपादिरहितत्वम् । २. 'सर्वेषाम्' इत्यतोऽग्ने मुद्रितप्रतिपाठः [ एकैकद्रव्ये अष्टौ-अष्टौ गुणा भवन्ति । जीवद्रव्येऽचेतनत्वं मूर्तत्वं च नास्ति, पुद्गलद्रव्ये चेतनत्वममूर्तत्वं च नास्ति। धर्माधर्माकाशकालद्रव्येषु चेतनत्वं मूर्तत्वं च नास्ति । एवं द्विद्विगुणवर्जिते अष्टौ अष्टौ गुणाः प्रत्येकद्रव्ये भवन्ति ] ३. 'विशेषगुणाः' इत्यतोऽग्रे मुद्रितप्रतिषु अधिकः पाठः-षोडशविशेषगणेष जीवपद्गलयोः षडिति । जीवस्य ज्ञानदर्शनसुखवीर्याणि चेतनत्वममर्तत्वमिति षट् । पुद्गलस्य स्पर्शरसगन्ध F: मूर्तत्वमचेतनत्वमिति षट् । इतरेषां धर्माधर्माकाशकालानां प्रत्येकं त्रयो गुणाः । धर्मद्रव्ये गतिहेतुत्वममूर्तत्वमचेतनत्वमेते त्रयो गुणाः । अधर्मद्रव्ये स्थितिहेतुत्वममूर्तत्वमचेतनत्वमिति । आकाशद्रव्ये अबगाहनहेतुत्वममूर्तत्वमचेतनत्वमिति । कालद्रव्ये वर्तनाहेतुत्वममूर्तमचेतनत्वमिति विशेषगुणाः।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org