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________________ ६६ आप्तपरीक्षा-स्वोपज्ञटीका ७. लघु समन्तभद्र - ये विक्रमकी १३वीं शतीके विद्वान् हैं । इन्होंने विद्यानन्दकी अष्टसहस्रोपर 'अष्टसहस्रीविषमपदतात्पर्य टीका लिखी है । टीका बिल्कुल साधारण और संक्षिप्त है । यह अभी प्रकाशित नहीं हुई है । इसमें विद्यानन्दके पत्रपरीक्षा आदि ग्रन्थोंके भी उद्धरण हैं । इससे मालूम होता है कि लघुसमन्तभद्र विद्यानन्द और उनके ग्रन्थोंसे काफी प्रभावित थे । ८ अभिनवधर्म भूषण' - ये विक्रमकी १५वीं शताब्दी ( वि० सं० १४१५ से वि० सं० १४७५, ई. सन् १३५८ से १४१८ ) के प्रौढ़ विद्वान् हैं । इनकी न्यायविषयक उच्चकोटिकी संक्षिप्त एवं विशद रचना न्यायदीपिका सुप्रसिद्ध है । इसमें धर्मभूषणने अनेक जगह तत्त्वार्थश्लोकवार्त्तिक, प्रमाणपरीक्षा, पत्रपरीक्षा आदि ग्रन्थोंके नामोल्लेख पूर्वक उद्धरण दिये हैं, इससे प्रकट है कि अभिनव धर्मभूषण विद्यानन्दके ग्रन्थों के अच्छे अध्येता थे और वे उनसे प्रभावित थे । ९. उपाध्याय यशोविजय - ये विक्रमकी १८ वीं शताब्दी के प्रतिभाशाली विद्वान् हैं । इन्होंने सिद्धान्त, न्याय, योग आदि विषयोंपर अनेक ग्रन्थ लिखे हैं । इनके ज्ञानबिन्दु, जैनतर्कभाषा ये दो तर्कग्रन्थ विशेष प्रसिद्ध हैं । जैनतर्कभाषा में अभिनव धर्मभूषण यतिकी न्यायदीपिकाका विशेष प्रभाव है । इसके अनेक स्थलोंको उन्होंने उसमें अपनाकर अपनी संग्राहक और उदार बुद्धिको प्रकट किया है । आ० विद्यानन्दके अष्टसहस्री तत्त्वार्थश्लोकवार्त्तिक, प्रमाणपरीक्षा आदि ग्रन्थोंका इन्हें अच्छा अभ्यास ही नहीं था, बल्कि अष्टसहस्रीपर उन्होंने अष्टसहस्रीतात्पर्यविवरण नामकी नव्यन्यायशैलीप्रपूर्ण विस्तृत व्याख्या भी लिखी है जो वस्तुतः अपने ढंगी अनोखी है । इससे प्रतीत होता है कि उपाध्याय यशोविजयजी भी विद्यानन्दके ग्रन्थोंसे प्रभावित थे और उनके प्रति उनका विशेष समादर था । (च) आ० विद्यानन्दकी रचनाएँ आ० विद्यानन्दकी दो तरहकी रचनाएँ हैं— टीकात्मक और २ स्वतन्त्र | टीकात्मक रचनाएँ निम्न हैं: १ तत्त्वार्थश्लोकवार्त्तिक ( सभाष्य ), २ अष्टसहस्री -देवागमालङ्कार और ३ युक्त्यनुशासनालङ्कार । १. विशेष परिचयके लिये देखो, लेखककी न्यायदीपिकाकी प्रस्तावना | Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001613
Book TitleAptapariksha
Original Sutra AuthorVidyanandacharya
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1992
Total Pages476
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Epistemology
File Size9 MB
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