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आप्तपरीक्षा - स्वोपज्ञटीका
[ कारिका ८६
ह्येकदा प्रतिभासमानोऽन्यदा न प्रतिभासते प्रतिभासान्तरेण विच्छेदात्, प्रतिभासमात्रं तु सकलप्रतिभासविशेषकालेऽप्यस्तीति न कालतो विच्छिन्नम् । नापि देशतः क्वचिद्देशे प्रतिभासविशेषस्य देशान्तरप्रतिभासविशेषेण विच्छेदेऽपि प्रतिभासमात्रस्याविच्छेदादिति न देशविच्छिन्नं प्रतिभासमात्रम् । नाप्याकारविच्छिन्नम्, केनचिदाकारेण प्रतिभासविशेषस्यवाकारान्तरप्रतिभासविशेषेण विच्छेदोपलब्धेः प्रतिभासमात्रस्य सर्वाकारप्रतिभासविशेषेषु सद्भावादाकारेणाऽप्यविच्छिन्नं तत् । प्रतिभासविशेषाश्च देशकालाकारैविच्छिद्यमाना: यदि न प्रतिभासन्ते, तदा न तद्वयवस्थाऽतिप्रसङ्गात् । प्रतिभासन्ते चेत्, प्रतिभासमात्रान्तःप्रविष्टाः प्रतिभासस्वरूपवत् । न हि प्रतिभासमानं किञ्चित्प्रतिभासमात्रान्तः प्रविष्टं नोपलब्धम्, येनानैकान्तिकं प्रतिभासमानत्वं स्यात् । तथा देशकाला कारभेदाश्च परैरभ्युपगम्यमाना यदि न प्रतिभासन्ते,
भासविशेषका ही किसी कालमें नाश देखा जाता है, जैसे नील, सुख आदि प्रतिभासविशेष | प्रकट है कि प्रतिभासविशेष कहीं प्रतिभासमान होता हुआ भी दूसरे कालमें प्रतिभासित नहीं होता है क्योंकि अन्य प्रतिभासविशेषके द्वारा उसका नाश हो जाता है । किन्तु प्रतिभाससामान्य समस्त प्रतिभासविशेषोंके समय में भी रहता है, इसलिये कालसे उसका विच्छेद नहीं है । और न देशसे भी विच्छेद है क्योंकि किसी देशमें प्रतिभासविशेषका अन्यदेशीय प्रतिभासविशेषसे विच्छेद होनेपर भी प्रतिभाससामान्यका विच्छेद नहीं होता, इसतरह प्रतिभाससामान्य देशकी अपेक्षा भी विच्छिन्न नहीं है तथा न आकारसे भी वह विच्छिन्न है क्योंकि किसी आकारसे होनेवाले प्रतिभासविशेषका ही अन्य आकारीय प्रतिभासविशेषसे विच्छेद उपलब्ध होता है, प्रतिभाससामान्य तो समस्त आकारीय प्रतिभासविशेषों में विद्यमान रहता है । अत एव आकारकी अपेक्षा भी प्रतिभाससामान्य अविच्छिन्न है । इसके अतिरिक्त, जो प्रतिभासविशेष देश, काल और आकारसे विच्छिन्न हैं वे भी यदि प्रतिभासमान नहीं होते हैं तो उनकी व्यवस्था - सत्ता नहीं बन सकती है, अन्यथा अतिप्रसङ्ग आवेगा । यदि वे प्रतिभासमान होते हैं तो प्रतिभाससामान्यके अन्तर्गत ही हैं, जैसे प्रतिभासका स्वरूप | ऐसा कोई उपलब्ध नहीं होता कि वह प्रतिभासमान हो और प्रतिभाससामान्यके अन्तर्गत न हो, जिससे प्रतिभासमानपना अनैकान्तिक हो । तथा दूसरोंके द्वारा माने गये जो देशभेद, कालभेद और आकारभेद हैं वे यदि प्रतिभासमान नहीं होते हैं तो वे स्वीकार कैसे
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