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________________ कारिका ८४] सुगत-परीक्षा २३५ः पत्तेः । नाप्यनेकेन तस्याप्यनेकस्वभावत्वात् भेदप्रसङ्गादेकत्वविरोधात इत्यपि न बाधकम् वेद्यवेदकाकारकज्ञानेन तस्यापसारितत्वात् । संवेदनं होकं वेद्यवेदकाकारौ स्वसंवित्स्वभावेनैकेन व्याप्नोति, न च तयोरेकरूपता, संविद्रूपेणैकरूपतेवेति चेत्, तात्मा सुखज्ञानादीन् स्वभावेनैकेनात्मत्वेन व्याप्नोत्येव तेषामात्मरूपतयैकत्वाविरोधात् । कथमेवं सुखादिभिन्नाकार प्रतिभास: ? इति चेत्, वेद्यादिभिन्नाकारप्रतिभासः कथमेकत्र संवेदने स्यात ? इति समः पर्यनुयोगः। वेद्यादिवासना-भेदादिति चेत्, सुखादिपर्यायपरिणामभेदादेकत्रात्मनि सुखादिभिन्नाकार सबके एकपनेका प्रसङ्ग आता है । अनेकस्वभावसे भी वह व्याप्त नहीं कर सकता, कारण उसके भी अनेक स्वभाव होनेसे अनेकपनेका प्रसङ्ग प्राप्त होता है और इसलिये वह एक नहीं हो सकता है, वह बाधक मौजूद है, तब उसे आप अबाधित कैसे कहते हैं ? जैन-यह भी बाधक नहीं है, क्योंकि वह वेद्याकार और वेदकाकाररूप एक ज्ञानके द्वारा निराकृत हो जाता है। प्रकट है कि एक ज्ञान वेद्याकार और वेदकाकार इन दो आकारोंको अपने एकज्ञानस्वभावसे व्याप्त करता है, लेकिन उनके एकता नहीं होती-वे अनेक ही रहते हैं। योगाचार-ज्ञानरूपसे उन ( वेद्याकार और वेदकाकार दोनों) के एकरूपता है ही ? जैन-तो आत्मा सुख, ज्ञान आदिको एक आत्मस्वरूप स्वभावसे व्याप्त करता ही है, क्योंकि वे आत्माके रूप होनेसे उनके एकपनेका कोई विरोध नहीं है। योगाचार-यदि ऐसा है तो सुखादि-भिन्नाकारोंका प्रतिभास कैसे होता है ? जैन-एक संवेदनमें वेद्यादि भिन्नाकारोंका प्रतिभास कैसे होता है ? यह प्रश्न दोनों जगह समान है-अर्थात् हमारा भी यह प्रश्न आपसे है ? ___ योगाचार-वेद्याकार और वेदकाकारकी वासनाएँ भिन्न हैं, अतः उनकी वासनाओंके भेदसे एक संवेदनमें वेद्यादि भिन्नाकारोंका प्रतिभास होता है। ___ जैन-सुखादिपर्यायोंके परिणमन भिन्न हैं, अतः उनके परिणमनोंके 1. मु 'सुखदुःखज्ञाना'। 2. मु 'व्याप्नोति । 3. म 'कारः प्रतिभासः' । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001613
Book TitleAptapariksha
Original Sutra AuthorVidyanandacharya
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1992
Total Pages476
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Epistemology
File Size9 MB
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