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________________ प्रस्तावना आप्तपरीक्षा और आचार्य विद्यानन्द १. आप्तपरीक्षा (क) ग्रन्थ-परिचय प्रस्तुत ग्रन्थ आप्तपरीक्षा है। इसके रचयिता विद्यानन्दमहोदय, तत्त्वार्थश्लोकवात्तिक आदि उच्चकोटिके दार्शनिक ग्रन्थोंके कर्ता तार्किकशिरोमणि आचार्य विद्यानन्द हैं । आ० विद्यानन्दने इस ग्रन्थ-रत्नकी रचना श्रीगृद्धपिच्छाचार्य,' जो आचार्य 'उमास्वाति' अथवा 'उमास्वामी' के नामसे अधिक प्रसिद्ध हैं, 'तत्त्वार्थसूत्रके' मङ्गलाचरणपद्यपर उसी प्रकार की है, जिस प्रकार आचार्य समन्तभद्र स्वामीने उसो पद्य१. विन्ध्य गिरिपर सिद्धरबस्तीमें दक्षिणकी ओर एक स्तम्भपर एक अभिलेख उत्कीर्ण है, जो शकसंवत् १३५५ का है। इस लेखमें इन आचार्य के 'गृद्धपिच्छाचार्य' नामकी उपपत्ति बतलाते हुए कहा गया है कि 'आचार्यने प्राणिसंरक्षणके लिये गृद्धके पंखोंकी पिच्छी धारण की थी तबसे उन्हें विद्वान् ‘गृद्धपिच्छाचार्य कहने लगे।' यथा स प्राणिसंरक्षण-सावधानो बभार योगी किल गृद्धपक्षान् । तदा प्रभूत्येव बुधा यमाहुराचार्यशब्दोत्तर-गद्धपिच्छं ॥ १२ ॥ -शि० नं० १०८ (२५८)। -देखो, शिलालेखसं० पृ० २१०, २११ । षट्खण्डागमकी विशाल और प्रसिद्ध टीका श्रीधवला, तत्त्वार्थसूत्रकी विस्तृत टीका तत्त्वार्थश्लोकवात्तिक आदि प्राचीन जैनसाहित्यमें 'गृद्धपिच्छाचार्य' नामका ही उल्लेख हुआ है। इससे जान पड़ता है कि सुदूर कालमें इनकी उक्त नामसे ही अधिक प्रसिद्धि रही। मूल नाम उमास्वाति या उमास्वामी, जो भी हो, पर विद्वानोंमें उन्हें उनकी विद्वत्ता, त्याग-तपस्या आदिके कारण गौरव प्रदान करनेके लिये गृद्ध पिच्छाचार्य नामका व्यवहार ही मुख्य रहा । २. जो इस प्रकार है मोक्षमार्गस्य नेतारं भेत्तारं कर्मभूभृताम् । ज्ञातारं विश्वतत्वानां वन्दे तद्गुणलब्धये ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001613
Book TitleAptapariksha
Original Sutra AuthorVidyanandacharya
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1992
Total Pages476
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Epistemology
File Size9 MB
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