SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 317
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २०४ आप्तपरीक्षा-स्वोपज्ञटीका [कारिका ७८,७९ [वैशेषिकाभिमतं तत्त्वं विस्तरतः समालोच्य तदुपदेष्टुरीश्वरस्य मोक्षमार्गोपदेशत्वाभावं च प्रतिपाद्येदानी कपिलमतं दूषयति ] $ १८६. यथा चेश्वरस्य मोक्षमार्गोपदेशित्वं न प्रतिष्ठामिति तथा कपिलस्यापीत्यतिदिश्यते एतेनैव प्रतिव्यूढः कपिलोऽप्युपदेशकः । ज्ञानादर्थान्तरत्वस्याऽविशेषात्सर्वथा स्वतः।। ७८ ॥ ज्ञानसंसर्गतो ज्ञत्वमज्ञस्यापि न तत्त्वतः । व्योमवच्चेतनस्यापि नोपपद्येत मुक्तवत् ॥ ७९ ॥ $ १८७. कपिल एव मोक्षमार्गस्योपदेशक: क्लेशकर्मविपाकाशयानां भेत्ता च रजस्तमसोस्तिरस्करणात् । समस्ततत्त्वज्ञानवैरा विवेचन करना अनावश्यक है, विस्तारसे पहले कहे गये अर्थका ही यहाँ यह उपसंहार किया गया है। [कपिल-परीक्षा ] $ १८६. जिस प्रकार महेश्वर मोक्षमार्गोपदेशक सिद्ध नहीं होता उसी प्रकार कपिल भी मोक्षमार्गोपदेशक प्रतिष्ठित नहीं होता, इस बातको आगे कहते हैं 'उपयुक्त कथनसे ही ( महेश्वरके मोक्षमार्गोपदेशित्वका निराकरण कर देनेसे हो) कपिलके भी मोक्षमार्गोपदेशित्वका निराकरण जानना चाहिये, क्योंकि स्वतः वह भी अपने ज्ञानसे सर्वथा भिन्न है और इसलिये वह सर्वज्ञ न हो सकनेसे मोक्षमार्गका प्रणेता नहीं बन सकता है। यदि ज्ञानके संसर्गसे उसे ज्ञाता-सर्वज्ञ कहा जाय तो वह परमार्थतः सर्वज्ञ नहीं हो सकता, जैसे आकाश । अगर यह कहा जाय कि कपिल तो चेतन है, आकाश चेतन नहीं है, इसलिये चेतन कपिलके ज्ञानसंसर्गसे सर्वज्ञता बन जाती है, आकाशके नहीं, तो मुक्तात्माकी तरह वह भी नहीं बनती अर्थात् जिस प्रकार मुक्तात्मा चेतन होते हुए भी सर्वज्ञ नहीं माना जाता उसी तरह कपिलके चेतन होनेपर भी वह सर्वज्ञ नहीं हो सकता, क्योंकि उसमें चेतनपना या अन्य कोई नियामक नहीं है।' $ १८७. निरीश्वरसांख्य-कपिल ही मोक्षमार्गका उपदेशक तथा क्लेश, कर्म, विपाक और आशयोंका भेदक है, क्योंकि उसके रज और 1. मुस प्रतिषु 'च' नास्ति । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001613
Book TitleAptapariksha
Original Sutra AuthorVidyanandacharya
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1992
Total Pages476
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Epistemology
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy