________________
कारिका ७७]
ईश्वर परीक्षा
१८७
$ १७३. तदनेनासत्त्वस्य नानात्वमनित्यत्वं च प्रतिजानता सत्त्वस्यापि तत्प्रतिज्ञातव्यमिति कथञ्चित्सत्ता एका, सदिति प्रत्ययाविशेषात् । कथञ्चिदनेका प्राक्सदित्यादिसत्प्रत्ययभेदात् । कथञ्चिन्नित्या, सैवेयं सत्तेति प्रत्यभिज्ञानात् । कथञ्चिदनित्या, कालभेदात् पूर्वसत्ता पश्चात्सत्तेति सत्प्रत्ययभेदात् सकल बाधकाभावादनुमन्तव्या, तत्प्रतिपक्षभूताऽसत्तावत् । ततः 'समवायिविशेषणविशिष्टे हे दंप्रत्यय हेतुत्वात्समवायः समवायिविशेषप्रतिनियम हेतु र्द्रव्यादिविशेषणविशिष्टसत्प्रत्ययहेतुत्वादद्रव्यादिविशेष प्रतिनियमहेतुसत्तावत्' इति विषम उपन्यासः, सत्ताया: नानात्वसाधनात् । तद्वत्समवायस्य नानात्वसिद्धेः ।
[ समवायस्यापि सत्तावदेकत्वानेकत्वं नित्यत्वानित्यत्वं च प्रदर्शयति ]
$ १७४. सोऽपि हि कथञ्चिदेक एव इहेदं प्रत्ययाविशेषात् । कथञ्चि-दनेक एव नानासमवायिविशिष्टे हेदं प्रत्ययभेदात् । कथञ्चिन् नित्य एव, प्रत्यभिज्ञायमानत्वात् । कथञ्चिदनित्य एव कालभेदेन प्रतीयमानत्वात् । -
$ १७३. अतः यदि असत्ताको अनेक और अनित्य मानते हैं तो सत्ताको भी अनेक और अनित्य मानना चाहिये । और इसलिये हम सिद्ध करेंगे कि सत्ता कथंचित् एक है, क्योंकि 'सत्' इस प्रकारका सामान्यप्रत्यय होता है । तथा वह कथंचित् अनेक हैं, क्योंकि 'प्राक् सत्' इत्यादि विशेष - प्रत्यय होते हैं । कथंचित् वह नित्य है, क्योंकि 'वही यह सत्ता है' इस प्रकारका प्रत्यभिज्ञान होता है । कथंचित् वह अनित्य है, क्योंकि कालभेद उपलब्ध होता है । पूर्वकालिकी सत्ता, पश्चात्कालिकी सत्ता, इस प्रकार कालको लेकर विशेष सत्प्रत्यय होते हैं और ये प्रत्यय बाधारहित हैं । इस -- लिये सत्ता कथंचित् अनित्य भी है, जैसे असत्ता ।
अतः पहले जो यह कहा था कि 'समवाय समवायिविशेष के प्रतिनियम-का कारण है, क्योंकि वह समवायिविशेषणसे विशिष्ट 'इहेदं' (इसमें यह ) - इस ज्ञानका जनक है, जैसे द्रव्यादिविशेषण के विशिष्ट सत्ताज्ञानमें कारण होनेसे द्रव्यादिविशेषका प्रतिनियम करानेवालो सत्ता ।' सो यहाँ सत्ताका दृष्टान्तविषम है अर्थात् वादी और प्रतिवादी दोनोंको मान्य न होनेसे प्रकृतमें उपयोगी नहीं है, क्योंकि सत्ता उपर्युक्त प्रकारसे नाना सिद्ध होती है - एक नहीं और इसलिये सत्ताकी तरह समवाय नाना प्रसिद्ध होता है ।
$ १७४. हम प्रतिपादन करेंगे कि समवाय भी कथंचित् एक ही है, क्योंकि 'इसमें यह ' इस प्रकारका समान प्रत्यय होता है । कथंचित् वह. अनेक ही है, क्योंकि नाना समवायिविशेषणोंसे विशिष्ट 'इहेदं' प्रत्यय --
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org