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________________ विषय-सूची विषय ९. अर्हन्मोक्षमार्गनेतृत्वसिद्धि मोक्षका स्वरूप आत्माका स्वरूप संवर, निर्जरा और मोक्षमें भेदप्रदर्शन नास्तिक मतका प्रतिवाद मोक्षमार्गका स्वरूप मोक्षमार्गप्रणेता सर्वज्ञताका निर्णय १०. अर्हत्वन्द्यत्वसिद्धि 'वन्दे तद्गुणलब्धये' का व्याख्यान अर्हन्त के वन्दनीय होनेमें प्रयोजन ११. उपसंहार आप्तपरीक्षा और उसकी स्वोपज्ञटीकाके सम्बन्धका अन्तिम वक्तव्य ९१ ३५१: १२. परिशिष्ट ३५४-३६१ १. आप्तपरीक्षाकी कारिकानुक्रमणिका ३५४ ३५६. २. आप्तपरीक्षा में आये हुए अवतरण वाक्योंकी सूची ३. आप्तपरीक्षा में उल्लिखित ग्रन्थों की सूची ३५८ : ४. आप्तपरीक्षा में उल्लिखित ग्रन्थकारोंकी सूची ३५८. ५. आप्तपरीक्षा में उल्लिखित न्यायवाक्य ३५८. ३५८ ६. आप्तपरीक्षागत विशेष नामों तथा शब्दोंकी सूची ७. आप्तपरीक्षाकी प्रस्तावना में चर्चित विद्वानोंका अस्तित्व समय ३६१. जीयान्निरस्त - निश्शेष - सर्वथैकान्त-शासनम् । Jain Education International पृष्ठ ३३३-३४५. ३३३ ३३४ ३३६ ३३७. ३३८. ३४५. ३४६-३५० ३४६: ३४८ ३५१-३५३. सदा श्रीवर्द्धमानस्य विद्यानन्दस्य शासनम् ॥ १ ॥ -आप्तपरीक्षा स जयतु विद्यानन्दो रत्नत्रय - भूरि-भूषणः सततम् । तत्त्वार्थार्णव तरणे सदुपायः प्रकटितो येन ॥ २॥ विद्यानन्द - हिमाचल - मुखपद्म-विनिर्गता सुगम्भीरा । गङ्गावच्चिरतरं जयतु ॥ ३ ॥ आप्तपरीक्षा- टीका - आप्तपरीक्षाटीका प्रशस्तिः For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001613
Book TitleAptapariksha
Original Sutra AuthorVidyanandacharya
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1992
Total Pages476
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Epistemology
File Size9 MB
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