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विषय-सूची
विषय युतसिद्धिकी व्यवस्था न होनेपर अयुतसिद्धिका अभाव १५१ 'अबाधितत्व' विशेषणके असिद्ध होनेकी आशङ्का और उसका परिहार
१५८ समवाय-समवायिओंमें विशेषण-विशेष्य-भावसम्बन्ध मानने में अनवस्था
१५९ वैशेषिकोंद्वारा उक्त अनवस्थाका परिहार और जैनोंद्वारा उसका प्रतिवाद
१६१ संयोग और समवायकी व्यर्थता
१६२ समवायको सर्वथा स्वतंत्र और एक मानने में विस्तारसे दूषण सत्ताके दृष्टान्तसे समवायको वैशेषिकोंद्वारा एक सिद्ध करना सत्ता और समवायके एकत्वका खण्डन सत्ताको स्वतंत्र पदार्थ न होने और पदार्थधर्म होनेका उपपादन, असत्ताकी तरह उसके चार भेदोंका समर्थन १८० समवायको सत्ताकी तरह एक-अनेक और नित्य-अनित्य माननेका प्रतिपादन
१८७ सत्त्व-असत्त्वके एक जगह रहनेमें विरोधकी आशंका और उसका परिहार
१८८ स्वरूपतः असत् अथवा सत् महेश्वरमें सत्ताका समवाय स्वीकार करने में दोष ईश्वरपरीक्षाका उपसंहार
२०३ ४. कपिल-परीक्षा
२०४-२१९ कपिलके मोक्षमार्गोपदेशकत्वका निरास प्रधानके मुक्तामुक्तत्वको कल्पना और उसमें दोष
२१० प्रधानके भी मोक्षमार्गोपदेशकत्वका निरास सुगत-परीक्षा
२१९-२५८ सुगतके मोक्षमार्गोपदेशकत्वका निराकरण
२१९ सौगतोंका पूर्वपक्ष
२२२ सौगतोंके पूर्वपक्षका निराकरण सौत्रान्तिकोंका मत
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