SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 73
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विषय अन्तरकरण तथा उस समय होनेवाले कार्य विशेषका निर्देश अन्तरकरण करने के प्रथम समय में मोहनीयके जो सात करण होते हैं उनका निर्देश क्रमसे उपशमको प्राप्त होनेवाली संख्यापूर्वक प्रकृतियोंका निर्देश नपुंसकवेदके उपशमनाके कालमें होनेवाले कार्य विशेषोंका निर्देश तदनन्तर स्त्रीवेदको उपशमनाके कालमें होने वाले कार्योंका निर्देश तदनन्तर सात नोकषायोंकी उपशमनाके कालमें होनेवाले कार्योंका निर्देश पुरुषवेदके नवकबन्ध तथा उस समय होने वाले कार्योंके विषयमे विशेष खुलासा अन्तरकरणके बाद आनुपूर्वी संक्रमका प्रारम्भ आदि कार्य विशेष अपगतवेदीके कार्य विशेषोंका निर्देश संज्वलन क्रोधकी उपशम विधिके साथ कार्य विशेषका निर्देश संज्वलन मानकी उपशमन विधिके साथ कार्य विशेषोंका निर्देश संज्वलनमायाकी उपशमन विधिके साथ अन्य कार्योंका निर्देश संज्वलन लोभकी उपशमन विधिके साथ अन्य कार्योका निर्देश संज्वलन लोभकी सूक्ष्मकृष्टिकरणका निर्देश कृष्टिगत द्रव्यके चार विभागोंका निर्देश उक्त चार विभागों में किस विधिसे द्रव्यका निक्षेप होता है इसका निर्देश पूर्व और अपूर्व कृष्टियोंके संधिगत विशेषताका निर्देश कृष्टियों के शक्ति सम्बन्धी अल्प बहुत्वका निर्देश प्रकृतमें स्थितिबन्धके प्रमाणका निर्देश Jain Education International ( ५८ ) पृष्ठ विषय २०० २०५ २०८ २०९ २१३ २१५ २१६ २२३ २२३ २२५ २२७ २३१ २३२ २३५ २४० २४५ २५१ २५२ २५३ प्रत्याख्यान अप्रत्याख्यान लोभद्विकका संवलन लोभमें कब संक्रम नहीं होता इस बातका निर्देश यह उदयादि अवस्थित गुणश्रेणि है, इसमें दिया जानेवाला द्रव्य भी अवस्थित है इसका निर्देश यहाँ कोन प्रकृतियाँ अवस्थित उदयवाली और कौन अनवस्थित उदयवाली हैं इस बातका निर्देश भवक्षयपूर्वक उपशतिकषायसे गिरनेवालेके बादर लोभकी स्थिति में एक आवली शेष रहनेपर उसकी उपशमन विधि समाप्त हो जाती है इस बातका निर्देश सूक्ष्म साम्परायमे होनेवाले कार्योंका निर्देश इसके प्रथम समयमें किन कृष्टियोंका उदय होता है इसका निर्देश द्वितीयादि समयोंमें उक्त बातका विचार सूक्ष्म कृष्टियोंके उपशमविधिका निर्देश प्रकृतमें स्थितिबन्धके विषय में विशेष निर्देश पूर्वोक्त अर्थका उपसंहार चारित्र मोहके उपशान्त होने पर उपशान्त मोह गुणस्थान में समान परिणाम होते हैं इसका निर्देश इस गुणस्थानके और यहाँ होने वाली गुणश्रेणिके कालका निर्देश विषयमें विशेष खुलासा अद्धाक्षयसे गिरनेवालेके विषय में विशेष खुलासा गिर कर सूक्ष्मसाम्परायमें आये हुए जीवके कार्यविशेषका निर्देश उक्त जीवके प्रथम समय में कितना बन्ध होता है इसका निर्देश इस गुणस्थान में अनुभागबन्धके विषय में विशेष निर्देश पृष्ठ अवरोहकके अनिवृत्तिकरणके प्रथम समयमे लोभ निमित्तक होनेवाले कार्योंका खुलासा For Private & Personal Use Only २५५ २५६ २५६ २५८ २६२ २६४ २६५ २६५ २६६ २६७ २६८ २७० २७३ २७५ २७६ २७७ २७९ २८० www.jainelibrary.org
SR No.001606
Book TitleLabdhisar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year1980
Total Pages744
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Karma, & Samyaktva
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy