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________________ अर्थसंदृष्टि अधिकार २ he १० ४ । ४ ख । ख । २ व । १२ । ५५३ | ४ व। अधस्तन कृष्टि २४। ओ। ४ ख aa व। १२ । ५५३ | ४ ओ। ४ ख। |२४ । मध्यम अपूर्व कृष्टि समान ख ख वि। ४ । ४ ख ४ ओ मध्यम खंड व । १२ । ५५३ = ४ २४ अधस्तन शीर्ष | hue नाम समान खंड विशेष बहरि बादर कृष्टि संबंधी च्यारि प्रकार संक्रमण द्रव्य अर द्वितीय कृष्टिविर्षे च्यारि प्रकार बंध द्रव्य अर तीन प्रकार घात द्रव्य देनेका पूर्ववत् विधान जानना । इहां तिनकी रचना असी अपूर्व अधस्तनकृष्टि | पूर्व अपूर्व सूक्ष्पकृष्टि । तृतीयसंग्रह द्वितीयसंग्रह खaa इहां पहलै द्वितीय समयवि नवीन करी नीचली कृष्टिनिकी रचना करी। ताके ऊपरि प्रथमसमयविषै कीनी कृष्टिनिकी रचना करी । तहां समपट्टिका पूर्व विशेष अधस्तनकृष्टिकी रचना करी। अर वीचि वीचि नवीन भई कृष्टिनिकी कभी लीककी सहनानी करी । बहुरि तिन दोऊ रचनानिके मध्यम खंड अर उभय द्रव्य विशेषकी समरूप क्रम हीन रूप सहनानी करी। बहुरि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001606
Book TitleLabdhisar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year1980
Total Pages744
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Karma, & Samyaktva
File Size15 MB
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