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क्षेपणासार
स० चं–सामान्य आलापकरि अभव्य राशितें अनंतगुणा वा सिद्धराशिके अनंतवें भागमात्र हीनाधिकरूप जो अपना अपना स्पर्धकनिका जो प्रमाण ताका भाग अपनी अपनी उत्कृष्ट वर्गणाके अविभागप्रतिच्छेदनिका प्रमाणकौं दीए अपनी अपनी आदि वर्गणाका प्रमाण आवै है । कष्टकर जैसे च्यारथो कषायनिके समान प्रमाण लीए उत्कृष्ट वर्गणाके अविभागप्रतिच्छेद पन्द्रह सौ बारह १५१२, इनकौं लोभ माया मान क्रोधके स्पर्धकनिका प्रमाण क्रमतें सत्ताईस चौबीस इकस अठारह तिनका भाग दीए लोभको जघन्य वर्गणाके अविभागप्रतिच्छेद छप्पन ५६, मायाकीके तरेसठि ६३, मानकीके बहतरि ७२, क्रोधकीके चौरासी ८४ हो हैं । अथवा अपनी अपनी जघन्य वर्गणानिके अविभागप्रतिच्छेदनिका प्रमाणकौं अपनी-अपनी स्पर्धकनिका प्रमाणक गुण अपनी अपनी उत्कृष्ट वर्गणा के अविभागप्रतिच्छेदनिका प्रमाण हो है । कैसें ? सो कहिए है
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लोभादिककी प्रथम स्पर्धककी प्रथम वर्गणाके अविभागप्रतिच्छेद समूहते दूसरे स्पर्धक की प्रथम वर्गणाके दूणे, तीसरे स्पर्धककी प्रथम वर्गणाके तिगुणे, चौथे स्पर्धककी प्रथम वर्गणाके चौगुणे ऐसें क्रमतें जितने अपने स्पर्धकनिका प्रमाण तितनेगुणे अंत स्पर्धककी प्रथम वर्गणा के अविभागप्रतिच्छेदनिका प्रमाण हो है सो च्यारथो कषायनिका समान है । बहुरि मध्यविषै भी अनंत वर्गणा च्या रथो कषायनिकी परस्पर समान हो है सो कथन आगें करिए है || ४७२ ॥ जे हीणा अवहारे रूवा तेहिं गुणित्तु पुव्वफलं ।
हीणवहारेणहिये अद्धं (लब्धं ) पुन्वं फलेणहियं || ४७३||
ये होना अवहारे रूपाः तैः गुणितं पूर्वफलं ।
नाव हारेणाधिके अर्धं ( लब्धं ) पूर्व फलेनाधिकं ||४७३ ||
स० चं - इस गाथाका अर्थरूप व्याख्यान क्षपणसारविषै किछू कीया नाहीं अर मेरे जानने में भी स्पष्ट न आया, तातें इहां न लिख्या है । बुद्धिमान होइ यथार्थ याका अर्थ होइ सो जानियो ||४७३||
कोहदुसेसेणवहिदको हे तक्कंडयं तु माणतिए ।
रूपहियं सगकंडयहिदकोहादी समाणसला ॥४७४ || क्रोधद्विशेषेणावहितक्रोधे तत्कांडकं तु मानत्रयं ।
रूपाधिकं स्वककांडकहितक्रोधादि समानशलाकाः || ४७४ ||
स० चं - क्रोधद्विक अवशेष कहिए क्रोधके स्पर्धकनिका प्रमाणको मानके स्पर्धकनिका प्रमाणविषै घटाए जो अवशेष रहे ताका भाग क्रोधके स्पर्धकनिका प्रमाणकौं दीए जो प्रमाण आवै ताका नाम क्रोधकांडक है । बहुरि मानत्रिकविषै एक एक अधिक है सो क्रोधकांडकतै एक अधिकका नाम मानकांडक है । यातें एक अधिकका नाम मायाकांडक है । यातें एक अधिकका नाम लोभकांडक है ।
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कष्टकर जैसे क्रोधके स्पर्धक अठारह, ते मानके इकईस स्पर्धकविर्ष घटाए अवशेष तीन ताका भाग क्रोधके अठारह स्पर्धककों दीए क्रोधकांडकका प्रमाण छह यातें एक एक अधिक मान माया लोभके कांडकनिका प्रमाण क्रमते सात आठ नव रूप जानने । बहुरि अपने अपने कांडकनिका भाग अपने अपने स्पर्धकनिका प्रमाणकौं दीए जो नाना कांडकनिका प्रमाण
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