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________________ (21) विज्यन्ति पार्थिवा[:] तेषामहं करलग्नोस्मि मम दतं न लुप्यताम् ।। ठ० जयतसिंह सुत पारि० पेथाकेन लिखितम् ॥ हीनाक्षरं प्रमाणमिति ॥ (22) महाराजकुल-श्रीवीसलदेव दू० महं० सागण ।। अत्र साक्षिणः श्रीअचलेश्वरदेवीय राउ० नन्दि श्रीवसिष्ठदेवीय तपोध(23) न..........."अम्बादेव्यासत्क अबो० नीलकण्ठः । प्रमाणाग्रामीय पढ्या(र) राजाप्रभृतिसमस्तपढ्यार ।। सूत्र नर......" No. 11 The Surahi inscription of Rao Lundha v. E. 1373 (1) संवत् 1373 वर्षे चैत्रवदि 1 (?) रवौऽद्य ह श्री अबुंद गिरौ म(2) हाराजकुल-श्रीलण्ढाकल्याणविजयराज्ये तन्नियुक्त श्रीक(3) रणे महं०। पूनसी (सिं)हादिपंचकुलप्रतिपत्तौ धर्मशासन मभिलि(4) ख्यते यथा ॥ श्रीअर्बुदगिरी श्रीयुगादिनाथ-श्रीनेमिनाथ पूजा(5) कारकं प्रतिकर द्रम्मा 24 देउलवाडावास्तव्य गामीः पाता गामी लींबा गामी० सीहा महं० छाड़ा गामी कर्मउ गामी० वी(7) रमप्रभृति-ग्रामसमुदायेन द्रम्मा 24 मुक्ताः । शुभं भवतु (8) बहुभिर्वसुधा भुक्ता राजभिः सगरादिभिः । यस्य यस्य य(9) दा भूमिस्तस्य तस्य तदा फलं । लामनी भरडा बभूत सीहरी दुस (10) री सुरही 1 संवत् 1397 वर्षे पोष (पौष) सुदी 15 सोमे । सै (शै) ले-(अपूर्ण) (6) No. 12 The Surahi Inscriptions of Rao Lundha v. E. 1373 (1) संवत् 1372 ज्येष्ट (ष्ठ) शुदि 2 सोमेऽद्य ह श्रीअर्बुदगिरौ महारा 10 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001596
Book TitleJain Inscriptions of Rajasthan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamvallabh Somani
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1982
Total Pages350
LanguageEnglish
ClassificationBook_English, Art, & History
File Size17 MB
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