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में आगमन. नागरुक्ष के नीचे केवलज्ञान की प्राप्ति, देवों द्वारा केवलज्ञान उत्सव, समवसरण में भगवान का उपदेश. उपदेश में अस्खलितप्रतापप्रसर कर्म परिणाम राजा का आध्यात्मिक रूपक कथा द्वारा सभा को उदबोधन. कर्मपरिणाम राजा की कथा (५४२०-५७९७) दसमपर्व पृ. १८२
भगवान के उपदेश से अनेकों द्वारा व्रत ग्रहण, भगवान की विभूति का वर्णन, विहार के बाद पश्चिम समुद्र तट पर भगवान का आगमन, समवसरण की रचना, चन्द्रप्रभास तीर्थ की स्थापना, शत्रुजय पर्वत पर भगवान का आगमन, धर्म देशना, गणधर के पूछने पर पुण्डरीक गणधर का वृतान्त कथन, (५८७०-५८९३) शत्रुजय पर्वत की महिमा, भगवान का संमेतशैल शिखर पर आगमन, निर्वाण, देवों द्वारा निर्वाणोत्सव, ग्रन्थ समाप्ति, ग्रन्थकार प्रशस्ति पृ. १९३)
सुभाषितपद्यानुक्रम पृ. १९४
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