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________________ चंद्रमा यक्ष माता लक्ष्मणा पिता महासेन नगरी चन्द्रपुरी वंश इक्ष्वाकु गोत्र काश्यप चिह्न वर्ण श्वेत शरीर की उंचाई १५० धनुष जयदेव शासनदेवी जालामालिनी कुमारकाल २.५ लाख पूर्व राज्यकाल २४ पूर्वांग अधिक ६.५ लाख पूर्व छद्मस्थकाल ३ मास कुल दीक्षा पर्याय २४ पूर्वांग कम १ लाख पूर्व आयुष्य १० लाख पूर्व च्यवन तिथि चैत्र वदी पंचमी चवन स्थल वेजयंत विमान जन्म पौष वदी बारस ज्ञानोत्पत्ति फागुनवदी सातम निर्वाण श्रावण कृष्णा सप्तमी निर्वाणस्थल सम्मेत शिखर अन्तरमान ९०० कोटिसागर ग्रन्थकार परिचय चन्द्रप्रभ चरित के कर्ता आचार्य जसदेव सूरि भारतीय साहित्य के बहुश्रुत विद्वान थे। उन्होंने इस चरित नायक चन्द्रप्रभ के जीवन चरित्र के साथ साथ कथा एवं उपकथाओं के माध्यम से जैन सिद्धान्तों को एवं जैनाचार को सुन्दर एवं सरल पद्धति से समझाया है । सोमा एवं अस्खलितप्रतापप्रसर नृप कथा का आध्यात्मिक रूपक इसका आदर्श उदाहरण है । ऐसा महत्त्व पूर्ण चरित काव्य रचकर आचार्यश्री ने प्राकृत साहित्य की अनुपम सेवा की है । ऐसे महान् साहित्यकार का जीवन वृतान्त सम्पूर्ण रूप से हमें नहीं मिलता परन्तु इस ग्रन्थ के अन्त में दी गई प्रशस्ति में उन्होंने अपनी गुरु परम्परा के साथ साथ अपना भी अल्प परिचय दिया है । वह इस प्रकार है - वर्तमान चौविसवें तीर्थंकर के तीर्थ में चन्द्रकुल में उपकेशपुर से निकला हुआ उपकेश गच्छ है । इस उपकेश गच्छ में विष्णु की तरह महान प्रतापी श्री देवगुप्त सूरि हुए। उन्होंने शिष्यजन हितार्थ सिद्धान्त कर्मग्रन्थ की एवं नवपद तथा नवतत्त्व प्रकरण की रचना कर अपनी विशिष्ट बुद्धि कौशल्य का परिचय दिया है । मैने इसी प्रकरण ग्रन्थ पर वृत्ति की रचना की। उनके विद्वान् शिष्य आचार्य कक्क सूरि है । उन्होंने चिइवंदण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001587
Book TitleChandappahasami Chariyam
Original Sutra AuthorJasadevsuri
AuthorRupendrakumar Pagariya, Jitendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1999
Total Pages246
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Biography
File Size17 MB
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