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गाहारयणकोसो पीओ जाईइ रसो, दलाई मिलियाई सहि ! जहिच्छाए । बिटग्गं तह वि अली लिहइ अतित्तो फुडं कामी ।। ६२३ ॥ मालइविरहे रे मुद्ध ! भसल ! मा स्यम्नु निन्भरुक्कंठं । वल्लहविओगदुक्खं मरणेण विणा न वीसाइ ॥ ६२४ ।। निबिडदलसंचियं पि हु कलियं वियसाविऊण सविसेसं । जे पढमं तीए रसं पियंति ते छप्पया छेया ॥ ६२५ ॥ कलिओग्गमे वि य तुमं जाया कलिकारिया सि भमराण । दरवियसिया सि मालइ जं काहो तं न याणामो ॥६२६ ॥ अविरयमहुपाणपरबसस्स सील अलिस्स कि भणिमो ?। सुट्ठ कुसीला जाई जा वियसइ तस्स संसग्गा ॥ ६२७ ॥ कलिए ! कलिया सि तुमं अच्छसु मा, पोढिमं समल्लियसु । तुय(?ह) पोढिमाए भग्गे नामं भमराण बुड्ढिहई(?) ॥ ६२८॥ भमरो भमिरो त्ति गुणुज्झिएहिं कुसुमेहिं लाइओ अयसो । लहिऊण जाइकलियं पुणो वि जइ भमइ तो भमरो ।। ६२९ ॥ अण्णणं कुसुमरसं जं किल अहिलसइ पाणलोहिल्लो । सो नीरसाण दोसो कुसुमाणं नेय भमरस्स ।। ६३० ।। पाऊण वि कोसरसं छप्पयतरुणो पुणो कमलिणीए । सयवत्तियं पि वियसइ, अहवा मलिणाण कह सच्चं ॥ ६३१ ॥ लच्छीलीलाकमले अलिणो न कया वि निवडिया दिट्ठी।। मन्ने जाइ च्चिय तेण तस्स मणवल्लहा जाया ॥ ६३२ ॥' केसररयविच्छड्डो जित्तियमित्तो य होइ कमलम्मि । जइ भमर ! तेत्तिओ अन्नहि पिता सोहसि भमंतो ॥६३३ ॥ भसलो विसट्टकेयइविलसिरघणरेणुपंडुरो सहइ ।। तं मालइ(?जाइ)विरहजज्जरगहिओ कयचंदणालेवो ॥६३४॥ तं कं पि पएसं पंकयस्स भमिऊण छप्पो छिवइ । नलिणी वि जेण मेल्हइ आमूलगयं पि मयरंदं ॥६३५॥
१. एतदनन्तरं "गाथा ६०० " इति प्रतौ ॥
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