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युद्धमा थती हिंसाने कारणे युद्धप्रसंगोना वर्णनोने टाळे ते समजी शकाय तेवुं छे. परंतु कनकरथना जन्मसमयना उत्सवनी के अनी केळवणीनी विगतोने, ते अगाउनी कृतिओमां होवा छतां तेमणे पोतानी कृतिमां स्थान नथी आप्यु. अनु कारण से होई शके के ते ते कविओओ कनकरथना प्रथमे ज महत्त्व आपी भिन्न भिन्न पात्रो द्वारा से प्रणयनीज मीमांसा करवानुं इष्ट गण्यु होम भने अ परिस्थितियां मदरूप न थई पडनार विगतोने बाजु पर राखी होय.
कनकरथकुंवरना जन्मोत्सवनी विगत अज्ञातकविकृत रचनाओंां आ प्रमाणे सछे छे :
'कुंवरनो जन्म थयो छे ते जाणी राजाओ जन्मोत्सव कराव्यो. याचकोनी निर्धनता हरी लीधो मागनारने इच्छित दान अपायु नाचनारीओने नृत्य कर्या. गवैयाओओ गीत गायां बंदीजना द्वारा राजानां वखाण थयां ब्राह्मणो वेदोच्चार की कुलीन स्त्रीओ आशीर्वाद आप्या. मोती माणेक होरा वगेरे रत्नो दानमां अपायां हाथी-घोडाथी रमतो, सोनाना अलंकारो धारण करतो अने धात्रीओधी सचवातो से पांच वर्षनो थयो .
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कनकरथनी केळवणी अंगे अज्ञात कवि नीचे मुजब बयान आपे छे :
" अभ्यासलायक कुंवरने थयेलो जाणी पिताओ ने ज्ञान आपवानो विचार कये. निशाळे. मूकवानो दिवस नजदीक आव्यो. जे दिवसे अने तेल चोळवामां आव्यु सुगंधित द्रव्यो वडे स्नान करायुं. सारां वस्त्रो पहेराव्यां कनकरथे माथा उपर कीमती रतनी कलगी धारण करी सातापिताने प्रणाम कर्या. गळा हार, हायें मुक, कवन कुंड दगेरे आभूषणो पर्या. ब्राह्मणे शांतिकर्म पतान्यु. मांगलिक आचार थयो. कुंवर पालखीमां बेटो माथे छत्र राज्य. रस्तामां सेवको बे बाजुओ चामर वींझवा मांडया. प्रधानो, अमात्यो, सामंतो बधा अनी साथे चालवा. निशाळमां प्रवेश कर्यो. गुरु पासे शास्त्र अने शस्त्रनी कळा, छेद, व्याकरण, अलंकार, रथशास्त्र, प्रमाणशास्त्र, ज्योतिषशास्त्र वगेरे बोंतेर कला शीरुया. "
कनकरथ उमरलायक थाय छे। अने यौवनवय पामेलो जोई छेमरथ राजाने चिंता थाय छे के लेने लायक कन्या कोण हशे ? सेना पाणिग्रहणनी चिंतानी वात मात्र देवकलश आपे छे.
खमणी यौवन वय पामी छे भेटले व्यवहार माता अने अलंकारोथी सज्ज करी पिता पाखे मोकले छे. पिता पुत्रीने जुझे छे अने विचारे छे : " अहो ! मारी पुत्री आटली बधी मोटी थई गई ! हवे अने लायक वरनी तपास करवी पडले. " मंत्री राजाने चिंतित जोई कारण पूछे
भाटचारणोथी गवातो अने लायक वर सांभळयो छे. राजा मंत्रीने ज मागुं करवा मोकले छे. आ प्रमाणे अज्ञात कवि त्रणेय आपे छे. जयवंतसूरिनी कथामां
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छे, राजानो जवाब सांभळी मंत्री कहे छे : ते कनकरथ छे. अने माटे मार्ग मोकलो. सविस्तर कथन नेमिचन्द्र, आसड कवि अने आटलो विस्तार नथी.
कनकरथे रुखमणीने परणवा काबेरी तरफ प्रयाण · त्यारे चालता चालतां ते अरिदमन राजाना प्रदेशमां पांच्यो राजाओ ज्यारे जाण्यु के कुंवर पोताना प्रदेशमां प्रवेश्यो छे त्यारे अने देवा " तु मारा देशनी सीमामा प्रवेश नहीं करी शके तेमज पडाव पण नहीं नाखी. आवां र वचनो सांभळी कुंवर खूब ज गुस्से थयो ने युद्ध माटे तैयार थयो.
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