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अनी पुष्पिका नीचे प्रमाणे छे :
इति सतीशिरोमणि ऋषिदत्ता आल्यान सपूर्णमिति ॥ भद्र महोपाध्याय श्री कल्याणविजयगणि पंडित श्री शुभविजयगणि शि. लालविजय लिखित ं । स्वपरोपकाराय स्तंभतीर्थे ॥ श्रीः ॥ संवत १६५९ वर्षे पोष सुदि ४ दिने चिरं जय ॥ श्री ॥
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(७) ग-ला. द. भा. संविद्यामंदिर, अमदावादना ह. लि. भंडारनी प्रत, क्रमांक ३३६८, पत्रसंख्या ४४, पत्रदीट पंक्ति २४, पंक्ति दीट १३ अक्षरो.
आ प्रतनां पत्रो छूटां नथी. गुटका * साइझमां बीजी अनेक प्रतोनी साथे ग्रंथाकारे धाली छे. प्रतनां पृष्ठ नंबर ५४ थी ९८ छे. पानानु माप २२.१×१२.७ से.मी. छे. अंते पुष्पिका नीचे प्रमाणे छे :
"भट्टारक श्रीविजयदेवसूरीश्वर आचार्य श्री विजयसिंहसूरिराज्ये पंडित श्री सुपतिगणिशिष्य हीरसारेण लिखित श्रीगलकुंडानगरे आशीर्वाद पंचमीदिने श्री । "
संपादनमां पाठनिर्णय अने पाठसंकलन
" ऋषिदत्ता रास "ना संपादन माटे जे सात प्रतोनो उपयोग कर्यो छे तेमांथी अक प्रत 'अ' ने आदर्श गणी बीजी छ प्रतोना पाठभेद नोंध्या छे. मूळ लेखकना हाथे ज लखायेली प्रत
पत्र
* आ गुटकामां नीचे प्रमाणे बीजी कृतिओ छे : ( १ ) शाश्वत जिन स्तवन- कर्ता लक्ष्मीविजय, (२) विक्रमादित्य पंचदंड चोपाई -रचना संवत १५५६,,, (३) पार्श्वनाथगीत —नन्नसूरि
( ४ )
कायागीत - पद्मतिलक
(५) मुनिपति चोपाई - रचना संवत १५५०,
(६) नेसराजुल बारमास
- जयवंतसूरि
(७) स्थूलभद्रकोशा प्रेमविलास फाग --
(८) कुनार छंद
(९) शंखणी छंद
(१०) सीमंधर गीत नन्नसूरि
(११) नेभिगीत
( १२ )
पद्मावती स्तोत्र
(१३) हंसाउली असाईन
(१४) दिनराचिनां चोघडियां आदि (१५) माधवानल कामकंदला चोपाई - (१६) बेताल पंचविंशतिका चोपाई - ज्ञानचंद्र ले. स. १७०८
- कुशललाभ
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१० - १२ संपूर्ण छे.
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९४-९५
९५-१३५
१३५-१९३.
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