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________________ सुणि वंशदीपक सुगुण नंदन, कुल तिलक कुल आधार; . अक बोल मांनी माहरु, ऊरण थांउ सुविचार. आस्या विलधी रुखि मिणी, ऊखतां नहीं धरम ; अबला तणइं नींसासडइ, पुरुषनई पाडइ शर्म. नर अवर जउ को तसु वरइ, तउ आपणी नहीं मांम; जउ मांम गई मान्यातणी, तउ जीवतई स्यउं काम. अकवार परिणी तेहनइं, आपणउ महिमा राखि ; वार वार तुझनई वीनवउं, पाछउ ते बोल न नांखि. इम कही अणमनमानतइ, पणि कुमर पांम्यउ लाज; छछ उंदिरी जिम सापि साही, जिम नई वाघ समाजि, ढाल २५ राग : मल्हार. २ धिग (गिरजादेवीनइ वोनवउं-ओ देशी अथवा वीरजिणेसर वांदउं विगतिस्यु रे.) ऋषिदत्ता गुण इं मोहीउ रे, चितइ राजकुमार; कुंण नर कांजी वावरइ रे, पी अमृत उदार. धिग धिग नरना हैडला रे, नीसत नीठर अपार; अक गई बीजी आदरइ रे, नांणइ प्रेम लिगार. नेह खरु नारीतणउ रे, नर पूठइं अवटाइ ; नर निसनेही निरगुणी रे, बीजी केडइं थाइ. ___३ धिग् धिग् प्रांण न दोधी तेहनई रे, तउ लजाव्यउ प्रेम ; हवइ ते परणेवा जायतां रे, निरगुणमांहि सीम. ४ धिग् धिग् कनकरथ इम विलपतउ रे, तात तणइ आदेस; काबेरीभणी सांचर्यउ रे, लेई कटक असेस. ५ धिग् धिग् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.001581
Book TitleRushidattras
Original Sutra AuthorJayvantasuri
AuthorNipuna A Dalal, Dalsukh Malvania
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year
Total Pages206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size11 MB
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