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सत्यशासन-परीक्षा
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१५-१९
द्विचन्द्र श्रादि हेतु प्रसिद्ध और विरुद्ध हैं अभ्रान्त प्रत्यक्षसे बाय अर्थकी सिद्धि विज्ञानाद्वैत इष्ट-विरुद्ध है अनुमान-द्वारा बाह्य अर्थकी सिद्धि
साधन-दूषण प्रयोगहेतु-द्वारा विज्ञानाद्वैत-खण्डन चित्राद्वैतशासन-परीक्षा
चित्राद्वैतशासनमें मी बाह्य अर्थका अपह्वय विज्ञानाद्वतकी तरह चित्राद्वैत भी प्रत्यक्ष तथा अनुमान-विरुद्ध चार्वाक शासन-परीक्षा [पूर्वपक्ष] सर्वज्ञका प्रभाव आगम और अनुमानका अभाव बृहस्पति प्रतिपादित चार भूत चार भूतोंके योगसे चैतन्यकी उत्पत्ति मरणके उपरान्त और जन्मसे पूर्व आत्माका अभाव परलोकका अभाव जीवनका उद्देश्य [उत्तरपक्ष ] चार्वाक मत प्रत्यक्ष-विरुद्ध प्रत्यक्षसे पृथ्वी आदिके उपादानोपादेयभावकी प्रतीति स्वसंवेदन प्रत्यक्षसे जीवकी सिद्धि भोक्तत्व जोवका असाधारण धर्म है अचेतन शरीर भोक्ता नहीं आत्मा अनादि-अनन्त तथा पृथिव्यादिसे सर्वथा विलक्षण है चार्वाकशासन इष्ट-विरुद्ध भी है प्रतिषेध-द्वारा जीवसिद्धि गौण कल्पना-द्वारा जीवसिद्धि शुद्ध पदकी अपेक्षा जीव सिद्धि शिष्टसम्मति तथा आगमोक्ति-द्वारा जीवसिद्धि भूत और चैतन्य दोनों भिन्न प्रमाणग्राही हैं प्रत्यभिज्ञान और पूर्वानुभवकी सिद्धि पुण्य-पाप और परलोककी सिद्धि सर्वज्ञसिद्धि प्रत्यक्ष-द्वारा सर्वज्ञ निषेध असम्भव अनुमान-द्वारा सर्वज्ञ निषेध असम्भव
बाधकके अभावमें सर्वज्ञकी सिद्धि बौद्धशासन-परीक्षा [ पूर्वपक्ष ] रूप आदि पञ्च स्कन्ध सविकल्पकज्ञान निर्विकल्पकज्ञान
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