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________________ विषय-सूची अविद्या मायावाद अविद्या निवृत्ति ही मोक्ष है मोक्षक साधन--श्रवण, मनन और ध्यान साधनचतुष्टय ब्रह्म-साक्षात्कार [उत्तरपक्ष ] ब्रह्माद्वैतका प्रत्यक्ष विरोध स्वप्नसंवेदन प्रत्यक्ष ऐन्द्रजालिक प्रत्यक्ष भ्रान्त प्रत्यक्ष निर्विकल्पक प्रत्यक्ष निषेध भी प्रत्यक्षका विषय है साध्य और हेतुका द्वैत . आगम और ब्रह्मका द्वैत स्वसंवेदन और ब्रह्मका द्वैत ब्रह्माद्वैतको स्वतः सिद्ध माननेमें दोष ब्रह्माद्वैतका अनुमानसे विरोध क्रिया-कारक भेद भ्रान्त नहीं बाध्य-बाधकका द्वैत तके बिना अद्वैतकी सिद्धि असम्भव ब्रह्माद्वैतवादमें पुण्य-पाप, स्वर्ग-मोक्ष आदिकी व्यवस्था असम्भव प्रमाण और प्रमयका द्वैत अविद्याकी कल्पनामें अनेक दोष शब्दाद्वैतशासन-परोक्षा पुरुषाद्वैतकी तरह शब्दाद्वैत भी अयुक्त विज्ञानातिशासन-परीक्षा [पूर्वपक्ष ] बाह्य अर्थक अभावकी सिद्धि सौत्रान्तिकसम्मत तज्जन्य, तादप्य, तदध्यवसाय योगसम्मत कार्यनिमित्तकारणत्व ग्राह्य-ग्राहकज्ञानको भ्रान्तता संवित्ति-द्वारा समस्त वेद्य-वेदक व्यवहार अनुभव-द्वारा विज्ञानाद्वतको सिद्धि [उत्तरपक्ष] विज्ञानाद्वैत प्रत्यक्ष-विरुद्ध है बाह्य अर्थ भ्रान्त नहीं है योगसम्मत विज्ञानको परिभाषामें दोष स्वसंवेदन-द्वारा विज्ञानाद्वैतकी सिद्धिमें दोष अनुमानसे विज्ञानका वेद्य-वेदक भाव मानने में दोष वासनाभेद मानने में दोष ११-१४ .00000 ܩ ܩ ܩ ܩ ܩ ܩ ܩ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001567
Book TitleSatyashasana Pariksha
Original Sutra AuthorVidyanandi
AuthorGokulchandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1964
Total Pages164
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size11 MB
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