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________________ कुंतसीहरायकहाणयं पिट्टेउं पाइक्के तीए गहियं समग्गमवि मोसं । ताओ दो वि जणीओ निहणं नीयाउ केणा वि ।।२६८७।। एत्थ खणे आगच्छइ अणूपम्वा जाव तत्थ ता निसुओ। अन्नयरपुरिससद्दो सुदारुणो हण हण भणंतो ।।२६८८।। तो भयवसेण भणिया कम्मयरीए अणूपम्वा एवं । परओ पलायहि तुमं चिट्ठामि अहं तु खणमेत्थ ।।२७८९।। जाव इमे परपुरिसा एत्तो अन्नत्थ कत्थ वि वयंतिः । ताव अहं तुह सदं करिस्समेज्जह तुम तत्तो ।२६९०॥ विहियं अणूपम्वाए तहेव तत्तो खणंतरस्संते । नीसद्दे संजाए गएसु अन्नयरपुरिसेसु ॥२६९१।। कम्मयरी सगडसमीवमागया निवडिए निए पुरिसे । सद्दित्ता उट्ठविउं अणूपम्वाए गयाभिमुही ॥२६९२।। तोसे करेइ सद्दे मंदे गरुएय तयणु गरुययरे । दूरे दूरयरे वियइओ तओ भमइ सदेती ।।२६९३।। नाव न तीसे सह को वि पयच्छइ तओ नियत्तेउं । सा रुयमाणी पत्ता सगडम्मि कहेइ निययाणं ।।२६९४।। तेसि पुरिसाण पुरो ते वि हु जपंति संपयं गामे । गम्मउ ताव कहिज्जउ तज्जणणीए तओ एसा ।।२६९५।। निय धूयाए सारं सयंपि कारिस्सए समत्तीए । इय भणिऊणं गामे गंतूण तहेव तेहि कयं ॥२६९६।। जणणीए वि हु सारा धूयाए कारिया पयत्तेण । सव्वत्तो पेसेउं पुरिसे गामागराईसु ॥२६९७।। तह वि न लद्धा सुद्धी तीसे कत्तो वि थेवमेत्ता वि | जणओ वि सूरपालो एत्तो गंतुं नियग्गामे ॥२६९८।। कारइ नियसत्तीए गवेसणं सव्वओ वि धूयाए । तेण वि तीसे सुद्धी मणं पि नो चेव उवलद्धा ॥२६९९।। सा पुण अणूपम्वाए कम्मयरी वाहिणी सयंतेण । अम्ह पुरिसेण दिट्ठा चिळंती सूरपालगिहे ।।२७००।। तं पुण सो परियाणइ इहा गया आसि तेण सा दिट्ठा । इय वइयरेण नज्जइ न विणट्ठा अणूपम्वा वि तया॥२७०१।। आगंतुगनेमित्तियवत्थव्वयगणयवयणसव्वतं । चित्ते मए विणिच्छियमेत्तो निय पणिहि वयणाओ।।२७०२।। इय निच्छिओ वि हु तया अयमट्ठो न कहिओ मए तुम्ह । मा वइयरेण इमिणा तम्मउ देवो विइइहेउं ॥२७०३॥ जइ सुद्धिमणुपम्वाए चिटुंतीए कहि पि जाणिस्सं । तो पडियारमिहठे पकरिस्समहं पि सत्तीए ।२७०४।।। इयबुद्धीए तुम्हं अकहतेण वि मए समारद्धा । सुद्धी काऊं तीसे थेवा वि परं न उवलद्धा ।।२७०५।। तत्तो मए वि चितियमेवं जह एत्थ पुरिसयारस्स। अवयासो को वि न अत्थि जेण दिव्वं महाबलवं ।।२७०६।। अन्नह अणूपम्वा कह तेण पयारेण छुट्टए तइया । इन्हि पि तेण विहिणा सा कत्थइ रक्खिया अस्थि ।।२७०७।। एग नेमित्तियवयणमणुपम्वा जीवइ त्ति ता मिलियं । हत्थिहयहरणविसयं बीयं जा मिलइ ता सहिमो।।२७०८।। इय चितिउं विरंमे एमेव ठियस्स संकियमणस्स । तुम्ह हय-हत्थिहेडा गहिया तो कुंत-सीहेण ।।२७०९।। तेण दुइयं पि मिलियं नेमित्तियजंपियं तओ मज्झ । पुरओ वि तस्स वयणे संजाओ पव्वओ सुदढो ॥२७१०॥ चितियमिणं मए तो जह सा नेमित्तिएण जीवंती। कहिया अणूपम्वा चिट्ठए लओ कुंत-सीहो सो ॥२७११॥ तीसे पुत्तो किं वा काए वि अन्नाए एस संजाओ। एवं विथाणियव्वे मज्झ समीहा समुप्पन्ना ।।२७१२।। ता जाव तया तुब्भे सेन्नं पवणी करेह ताव मए । झत्ति निय पणिहिपुरिसो पल्लोए कुंतसीहस्स ।२७१३।। तज्जणणिपेइयहरं जाणेउं पेसिओ गहियसिक्खो। गंतूण तत्थ एसो उवविट्ठो वणियहट्टम्मि ॥२७१४।। वणिवेसधरो पुच्छइ कयाणयग्धं तओ नरो एक्को। आगंतुं सह वणिएण कुणइ नियगहियवयलेक्खं ।।२७१५।। कयलेक्खयम्मि वणिओ पुट्ठो मे पणिहिणा निवेएइ। जह एस जणणि भिच्चो कुमारसिरि कुंतसीहस्स।।२७१६।। तो तेण पणिहिणामे सो भिच्चो पणिओ जहा भद्द ! सव्वत्थ वित्थरगओ गुणनिवहो कुंतसीहस्स ।।२७१७।। सव्वत्थ इमस्स पिथा विइओ नज्जइ न माउणो पक्खो । ता जइ तुमं वियाणसि तो साहसु अह भणइ भिच्चो न रहं नरिंदहं रिसिकुलहं वरकामिणिकमलाहं । अवुग्गमणुन पुच्छियइ कउ कुसलत्तणु ताहं ।।२७१९।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001564
Book TitleMunisuvratasvamicarita
Original Sutra AuthorChandrasuri
AuthorRupendrakumar Pagariya, Yajneshwar S Shastri, R S Betai
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1989
Total Pages376
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size9 MB
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