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कुंती हरायकहाण
काउं सरीरचितं अणूपम्वा चलइ जाव तो झत्ति । कोलाहलं सुणेउं कम्मयरीए इमा भणिया ।। २३५९ ।। एत्थेव पक्खि तुमं सुद्धि काऊण जाव एमि अहं । तो जइ चोरा एए होंहिति कहं वि संपत्ता ।।२३६०।। तोहं दूरठिया विहुलहुयं पाहाणयं खिविस्सामि । तुह पायाणं समुहंतो तं पुरओ पलाएज्जा ।। २३६१॥ तो कम्मरी तत्तो आगच्छइ जाव कइवयपयाई । ताव फुडं परियाणइ जह पडिया चोरधाडित्ति ।।२३६२ || पुव्वत्तं संकेयं अणूपम्वाए करेइ तो झत्ति । सा वि पलायइ पुरओ तुरियगई पाणभीमणा ।।२३७३ || कम्मरी पुण तत्थेव संठिया निहुयमुवविसेऊण । ता जाव (ते) पलाणा चोरा सव्वे गहियमोसा | २३६४।। तो नीस नाऊण सा पुरो मंदमंद मुवगंतुं । जा पेक्खइ ता पासइ तहेव तं सगडयं जुतं ॥ २३६५।। पाइक्का पुणपडिया चिट्ठेति कणतया महियलम्मि । संभासिया य तीए जंपियमेगेण तेसु त ।। २३६६। अइथेवचेयणाणं तीए संबाहिऊण सो विहिओ । उवविट्ठो अने विहु एवं संवाहिया चउरो ।। २३६७ ॥ तो लचेणेहिं तेहि विदिन्नं पडुत्तरं तीसे । तो तीए ते भणिया चोराण इओ पणट्ठाण ॥ २३६८ ।। जाया महई वेला तो उट्ठेउं चडेह गड्डीए । एक्को सट्ठेक्कओ जो सो खेडउ दोन्नि वि जणीओ ।। २३६९।। अम्हे पुण पाएहिं वच्चिस्सामो अणूपम्वा य अहं । सुइरं न पडिक्खिज्जइ एत्थ ठिएहि इयाणि तु ।। २३७० ॥ हक्कारेमि अणूपम्वमहं तुमे संवह सव्वे वि । इय भणिउ कम्मयरी अणूपम्वा व पसे ।। २३८१ । जत्य द्वाणे गहिओ संकेओ चोरसंकियमणाए । सद्धि अणूपम्वाए तम्मि पएसम्म गंतूण || २३७२ || साती कुणइ सद्दे दो तिन्नि वि जाव को वि पडिसद्दं । न हु देइ ताव एसा गंतुं पुरओ विसद्देइ || २३७३॥ तत्थ विन कोइ सद्दं जाव पयच्छेइ ताव सव्वत्तो । भमिउं भमिउं सद्दे करेइ गरुए य गरुययरे ।। २३७४॥ पडिसद्दं असुणंती सबाहनयणा नियत्ति पत्ता । सगड पुरिसाण पासे तीए सरूवं कहइ तेसि ।।२३७५।। तेहि भणियं जया इह पहा रहत्था समागया चोरा । झत्ति तथा सोहिणिया नणंदसहियाइओ नट्ठा ||२३७६॥ जइ पुर्ण सा एयासि पलायमाणीण कत्थई मिलिया । तो ताहि समं गामे पगया धन्नउरए होही ||२३७७।। तम्हा गम्मउगा इन्हि तो तत्थ जइ गया न इमा । कारिस्सामो पच्छा कत्थइ अन्नत्थ से सारं ||२३७८ ।। इतनिच्छियं ते काउं सगडम्मि आरुहऊण । कम्मयरीए सहिया पगया धन्नउरगामम्मि ॥२३७९ ॥ कहि कम्मरी अणूपम्वा संतियाए माऊए । तिहुयणदेवीए पुरो तं सव्वं कि पि पहमज्झे ।। २३८०॥ जं वित्तं तं सोउं तीए सोयग्गितावियाए वि । पढमं चि य भिच्चाणं उवयारो ताव कारविओ ।। २३८१ ।। रुहिरायड्ढणमद्दण सेथणवोलाइपाणमाईहिं । लोणट्टहलिद्दाले व घायपट्टाइ बंधेहि ॥ २३८२॥ तो धूयाए सारा सोहिणिपिउणो गिम्मि कारविया । कहियं घरेच्चएहि तिन्हं एक्का वि नो पत्तो ॥ २३८३ ॥ तो अधि गहिया तयणदेवी परोविडं लग्गा । अह दुग्गपालमाईगामजणो तत्थ बहु मिलिओ || २३८४ ॥ नियनिय विगप्प सरिसं सव्वेहिं वि जंपियं खणं एक्कं । इय निच्छियं पभाए ससुरगिहे सोहिणी तणए ।। २३८५ ।। काव्वा सुद्धी इ तत्थ वि नो भविस्सइ गयासा । अन्नत्थ कत्थइ तथा गवेसियत्र्वा पयत्तेण ॥ २३८६॥ अह तेहि बीयदि कविट्ठवद्दाभिहाणगामम्मि । पट्ठविओ नियपुरिसो सोहिणि ससुराण गेहम्मि || २३८७ ॥ निसिवृत्तं तं कहिउं अणूपम्वा तेण पुच्छिया तत्थ । इह नागयत्ति भणि तेहि विभीएहि नियपुरिसो ।। २३८८ ।। ते समं पट्टविओ दो वि तओ सिग्घमेव पहमज्झे । आगंतूणं निउणं कहियपए से पलोयंति ॥२३८९॥ दिट्ठा नणंद सहिया सोहिणिया धाइया गया निहणं । तेहि तओ गंतूणं निय निय गामम्मि परिकहियं ॥ २३९० ।। तासि जणएहि त तत्थागंतूणं हुयवहो दिन्नो । तिहुयणदेवीए पुण वयणेणं दुग्गपालस्स ।। २३९१॥
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