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________________ श्रावकाचार-संग्रह स्नान करी धौत वस्त्र पेहरी ए, पूजि जिन भवतार तो। मध्याह्न समये द्वारावलोकन ए, गणिये नव नमोकार तो ॥५. पुण्य प्रेयों पात्र आवीयो ए, सावधान थई मनि धीर तो। तिष्ठ तिष्ठ करो पडिगाहिये ए, प्रासुक देखाडी नीर तो॥५१ गुरु उच्चासन दीजिए ए, चरण कोजे प्रक्षाल तो। गुरु-पद-पूजन कीजिए ए. प्रणाम कीजे गुणमाल तो ॥५२ मन वचन काया शुद्ध कीजिए ए, पवित्र देहु आहार तो। दोष त्रांणुथी वेगलो ए, एषणा शुद्धि थी वेगला तो ॥५३ सप्त गुण दातार तणां ए, नव ए पुण्य प्रकार तो। सोल गुण प्रगट करो ए, दान वेला सविचार तो ॥५४ तुष्टि पुष्टि तप-वृद्धिकरी ए. न्याये उपायु जे धन्न तो। निज कुटुम्ब काजे नीपनु ए, ते सदा द्यो शुभ अन्न तो ॥५५ आहारदान इम दीजिए ए, विवेक लेइ ते पात्र तो। ममता मोह थी वेगलो ए, स्थित कीजे निज गात्र तो ॥५६ आहार थी औषध जाणिए ए, जेह थी समें क्षुधारोग तो। रोग शमें कृपा नीपने ए, नीपने ज्ञान नियोग तो ॥५७ इम जाणि आहार दीजिए ए, छांडी कृपण-कुमाय तो। जस महिमा पूजा करी ए, भव-सागर जे नाव तो ॥५८ उत्तम औषध दान दीजिए ए, पात्रतणा टालो रोग तो। जिणे किणे उपाय करि ए, शरीर कीजे सुख भोग तो ॥५९ निरोगपणे दृढ़ अंगि ए, धरे ते संजम-भार तो। ध्यान अध्ययन तप आचार ए, दुःकर्म-क्षयकार तो ॥६० च्यार नियोग चतुरपणे ए, विस्तारो जिन सूत्र तो। .... ...... ... ... ... ... ... ... ... ... ... ... ... ॥६१ लिखो लिखावों भक्ति करी ए, जिनवाणी अनुसार तो। शास्त्रदान सदा दीजिइ ए, निज-पर करे उपकार तो ॥६२ वेहरी मठ करावीइ ए, शून्य घरगुफा स्थान तो। संजमो सहाय कारण ए, दीजे वसतिका दान तो ॥६३ अभयदान शुभ दीजिइ ए, थावर साजीव जेह तो। मन वचन काया करीइ ए, रक्षा कीजे सह तेइ तो ॥६४ दीन दरिद्री दोहिला ए, अशरण कायर जे वृद्ध तो। जिनें दीयें दया उपजे ए, कोजे ते कृपा समृद्ध तो ॥६५ अभयदान अभ्यन्तर ए, उत्तम दान ए चार तो। जिहां दया तिहाँ दान महं ए, दया सर्व सुधीर तो॥६६ केवल दर्शन ज्ञान सुख ए, केवल वीर्य वितान तो। जिहाँ आतमा तिहाँ गुण ए, तिम अभय माहें सब हो दान तो ॥६७ Jain Education International For Private & Personal Use Only ____www.jainelibrary.org
SR No.001555
Book TitleSharavkachar Sangraha Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1998
Total Pages420
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Achar, & Religion
File Size23 MB
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