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________________ २३६ श्रावकाचार-संग्रह मुनि सुव्रत जिन देव गरभ बदि दोयज वासर, कुंथु गरभ वदि दसे सुमति सित वीज गरभ वर । नेमनाथ सित छठी जनम दिन तप पुनि धरियो, साते पारशनाथ मोक्ष लहि भव दधि तरियो । श्रेयांसनाथ निरवान पद, पून्यं के दिन सरदही। सावण सुमास छठि दिन विषे, सात कल्याणक है सही ॥७० वदि भादौं जिन शांति गरभ सातें माता उर, सुदि छठि गरभ सुपास अष्टमी मोक्ष सुविधि पर । वासुपूज्य निर्वाण चतुर्दसि भादौं जाणो, वदि दोयज आसोज गरभ नमि जिनवर मानो। लहि मोक्ष नेमि एक सकल, आउँ शीतल शिव गए । दुह मास मांहि दिन सात मैं, कल्याणक सातहि भए ।।७१ गरभ अनन्त जिनेश प्रतिपदा कातिक करियो, संभव केवल चौथ त्रयोदसि पद्म जनम लियो। तप पुनि तेरसि पद्म मोक्ष नमति जु अमावस, सुविधि ज्ञान सित बीज नेमि छठि मात गरभ वस । अरनाथ चतुष्टय विधि हणिवि, केवल ज्ञान उपानियो । दिन सात कल्याणक आठ सब, काती मांहि सुजानियो ॥७२ सन्मति तप वदि दसें सुविधि सुदि एकै तप गन, पुहपदन्त नय जनम दसम तप अरहनाथ मन । मल्लि जनम तप ज्ञान कल्याणक चिहुँ सित ग्यारस, नमि तिस ग्यारसि ज्ञान जनम अरनाथ सु चौदस । संभव जु कल्याणक जनम तप, दुहूं पूरणवासी थए । दिन सात कल्याणक, एकदस मगसिर माहीं वरणए ।।७३ पारशनाथ सु जनम अवर तप ग्यारसि कारी, जनम चन्द्र प्रभ तास दिवस दिक्षाहू धारी। चौदस शीतल ज्ञान शांति सुदि दशमी विधि तसु, ग्यारस केवल अजित जिनेश्वर प्रगट भयो जसु। प्रभु अभिनन्दन चौदसि दिवस, लोकालोक प्रकासियो। दिन पाँच कल्याणक आठ जुत, पौष महीनो भासियो ।।७४ दोहा फागुण दिन ग्यारसि विषे, कल्याणक जिनराय । पंदरह किये त्रिजगत-पति, नमै किसन सिर नाय ॥७५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001555
Book TitleSharavkachar Sangraha Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1998
Total Pages420
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Achar, & Religion
File Size23 MB
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