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श्रावकाचार-संग्रह
गर्भ कल्याणक । पद्धड़ी छन्द
दोय असाढ वदि वृषभधीर, छठि वासुपूज्य सुदि छठि जु बीर । मुनिसुव्रत सांवण दुतीय श्याम, दसम करी जिन कुंथुनाम ॥ १५ सित दोयज सुमति सुगरभ एव, भादों बदि सातैं सांति देव । सुदि छठि सुपारस उदर-मात, नमि बदि कुवारि दोयज विख्यात ॥ १६ कातिक बदि पड़िवा जिन अनन्त, सुदि छठि नेमि प्रभु सूर महंत । पद्मप्रभु वदि छठि माघमास, फागुणवदि नौमी सुविधि तास ॥१७ अरहनाथ सुकल त्रितिया वखाण, आठ संभव उर मात ठाण । शसि प्रभ वदि पांचे चैत एव आठ सीतल दिन गरभमेव ||१८ सुदि एकैं जिनवर मल्लि जानि, वदि तीज पार्श्व वैशाख मानि । सुदि छठि अभिनन्दन गरभवास, जिन धर्मनाथ तेरसि प्रकाश ॥ १९ श्रेयांस जेठ वदि छठि गरीस, दशमी दिन उच्छव विमल ईश । जिन अजित अमावसि उदरमात, चौबीस गरभ उत्सव विख्यात ॥ २०
दोहा
बीस चार जिनवर गरभ, बासर कहे बखान |
अ जनम दिन तिथि सकल, सुनि भवि चित हित आन ॥ २१ जन्म कल्याणक | पद्धड़ी छन्द
आसाढ दसमी वदि नमि जिनेश, सावण वदि छठि नेमीश्वरेश | कार्तिक वदि तेरस पदम संत, मगसिर सुदि नौमी पुष्पदंत ||२२ ग्यारसि मल्लिनु जनमावतार, अरहनाथ जनम चौदसि सुसार । पूरणमासो सम्भव सुदेव, शसिप्रभ वदि ग्यारसि पौष एव ॥ २३ ग्यारस दिन पारश नाथ जान, शीतल जिन वारसि किसन मान । सित चौथ विमल नाम जु उछाह, दसमी सित उच्छव अजित नाह ॥ २४ बारसि अभिनन्दन जनम लीय, तेरसि जिन धर्म प्रकाशकीय | ग्यारसि फागुण श्रेयांसस्वामि, जिन वासुपूज्य चोदसि प्रणामि ||२५ बदि चैत नवमि रिसस स्वामि, दसमी सुनि सुव्रत पय नमामि । सुदि तेरस जन्मे वीरनाथ, सुमति दसमी वैशाख श्याम ||२६ सुदि पड़िवा जनमें कुंथुवीर, बारसि वदि जेठ अनन्त धीर । चौदसि श्री शांति कियो प्रकाश, सित बारसि जनमें श्री सुपाश ॥ २७
तप कल्याणक
नमि नाथ दशमी आसाढ श्याम, सावण सुदि छठ तप नेमिनाथ । कातिक वदि तेरस वीर धीर, मगसिर वदि दशमो पद्म वीर ||२८ सुदि एक दीक्षा पुहुप दन्त, दशमी दिन अरह जिन तप महन्त । जिन मल्लि तजो ग्यारसि सुगेह, सुदि पून्यों शंभव तप नेह ॥ २९
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