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श्रावकाचार-संग्रह ताकी सुकल पडिवा थकी ले अष्टमी लौ कीजिए, प्रोषध इकंतर आठ दिन में पूज जिन शुभ लीजिए ॥३४
दोहा
बरत यह दिन आठ को, बार एक करि लेह । मन वच तन तिरकाल जिन, पूजे सुरपद देह ॥३५
___ अथ रोहिणी व्रत ब्रत अशोक रोहणि तनो, करिहै जे भवि जीव । सात बीस प्रोषध सकल, धरि त्रिशुद्धता कीव ॥३६
অজিত গুৰ जिह दिन मांझे नक्षत्र रोहिणी आय है, ताको प्रोषध करै सकल सुखदाय है। अनुक्रमते उपवास सताईस जानिए, वरष सवा दुय मांहि पूर्णता मानिए ॥३७
अथ कोकिला पञ्चमी व्रत । दोहा अबे कोकिला पञ्चमी, बरत कहो विधि सार। शील सहित प्रोषध किये, सुरपति को दातार ॥३८
द्रुत विलंबित छन्द पक्ष अंधयारे मास असाढ ही, करिये प्रोषध कातिक लों सही। तिथि मु पंचमी के उपवास ही, प्रति सुकोकिल पंचमि को लही ॥३९
दोहा
मरयादा या बरत की, सुनहु भविक परवीन । पांच वरष लों कीजिए, त्रिविध शुद्धता कीन ।।४०
अथ कवल चंद्रायण व्रत वरत कवल चंद्रायणा, बारह मास मंझार । एक महीना में करै, एक बार चित धार ॥४१
चौपाई करहि अमावस को उपवास, पार्छ तें इक चढ़ता ग्रास । पडिवा दिवस ग्रास इकलीन, दोयज दोय तीज दिन तीन ॥४२ चौथ चार पण पांचै सही, छट्टि छह सातें सत लही। आळं आठ नवमि नो टेक, दशमी दस ग्यारहि दस एक ॥४३ बारसि बारह तेरसी जान, तेरसि चौदस चौदह ठांन । पून्यो दिवस लेई दस पांच , सुकल पक्ष की ए विधि सांच ॥४४
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