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________________ श्रावकाचार-संग्रह अब प्रोषध की विधि सुनि लेह, भाष्यो जिन आगम में जेह । सातें तेरस के दिन जानि, जिनश्रुत गुरु पूजा को ठानि ॥४५ पूजा विधि करि श्रावक सोई, भोजन वेला मुनि अवलोई । जिन मन्दिर ते तब निज गेह, एक ठाम अण पानी लेह ॥४६ मध्याह्नक समये को धार, करे प्रतिज्ञा सुविधि विचार । षोडस पहर लेह मरयाद, चौबिहार छोड़ मरयाद ॥४७ खादि स्वाद लेह अरु पेह, अतीचार ते सबहि तजेय । टटुपट्टी धोवति विधिवत लेह, और वस्त्र तन सों तज देह ।।४८ स्नानादि भूषण परिहरै, अंजन तिलक व्रती नहिं करै ।। जिन मंदिर उपवन बन ठाहि, अथवा भूमि मसानहि जाहि ।।४९ षोड़स जाम ध्यान जो धरै, धरम कथाजुत तह अनुसरै। पंच पाप मन वच क्रम तजै, श्री जिन आज्ञा हिरदे भजे ॥५० धरम-कथा गुरु मुखतें सुनै, आप कहै निज आतम मुनै । निद्रा अल्प पाछिली रात, ह्व नौमी पून्यौ परभात ॥५१ मरयादा पूर्वक गुणधार, जिनमन्दिर आवं निज द्वार । द्वारापेषण परि चित धार, खड़ो रहै निज घरके बार ॥५२ पात्रदान दे अति हरषाई, एकामुक्त कर सुखदाई। पारणदिन पिछली छै-जाम, च्यारु अहार तजे अभिराम ॥५३ इह उत्कृष्ट कह्यो उपवास, करे कर्मगण को अतिनाश । सुर-सुख लहि अनुक्रम शिव लहै, सत्यवाइक इह जिनवर कहै ।।५४ कहूँ मध्यम उपवास विचार, षट्कर्मोपदेश अनुसार । प्रथम दिवस एकान्त करेय, घरी दोय दिनतें जल लेय ॥५५ जिनमन्दिर अथवा निज गेह, पोषह द्वादश पहर धरेय । धर्मध्यान में बारा जाम, गमि है घर के तजि सब काम ॥५६ जाविधि दिवस धारण जानि, सोही दिन पारणे बखान । तीन दिवस लों पालै शील, सो सुर के सुख पावे लील ॥५७ जघन्य वास भवि विधि सों करो, प्रथम दिवस इह संख्या धरौ । पछिली दिवस घडी दो रहै. ता पीछे पाणी नहिं गहै ॥५८ निशि को शील ब्रत पालिये, प्रात समय पोषो ही धारिये। आठ पहर ताकी मरयाद, धरम ध्यान जुत तजि परमाद ॥५९ दिवस पारणे निशि जल तजै, वासर तीन शील व्रत भजे ।। प्रोषध तो उत्कृष्टहि जानि, मध्यम जधन उपवास बखानि ॥६० त्रिविधि वासकों जो निरवहै, सो प्राणी सुर के सुख लहै । अब याको जो है अतीचार, कहूँ जिनागम जे निरधार ॥६१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org:
SR No.001555
Book TitleSharavkachar Sangraha Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1998
Total Pages420
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Achar, & Religion
File Size23 MB
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