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पदम-कृत श्रावकाचार
विकट संकट वैरी टले ए, सुण सुन्दरे, विषम विघ्न विनाश, मालंतडा. नमोकार महिमापणे ए, सुण सुन्दरे, दुख दारिद्र मिटे अरु त्रास, मालंतडा० ॥४९ डाकिमणी शाकिणी भुत प्रेत ए, सुण सुन्दरे, खवीस झोटिंग वेताल, मालंतडा. क्रूर ग्रह राक्षस टले ए, सुण सुन्दरे, वाघिन सिंह फणिटाल, मालंतडा०॥५. विषम विष अमृत हुइ ए, सुण सुन्दरे, दुर्द्धर अग्नि जल थाइ, मालंतडा० नमोकार प्रभाव धणुं ए, सुण सुन्दरे, जोभे कह्यो किम जाइ, मालंतडा० ॥५१ वाघ वानर श्यान चोर ए, सुण सुन्दरे, मरता लहे नमोकार, मालंतडा. देवतणां पद पामियां ए, सुण सुन्दरे, अनुक्रमें मोक्ष दुआर, मालंतडा० ॥५२ जापतणी विधि सांभलो ए, सुण सुन्दरे, अक्षसूत्र लेइ पवित्र, मालंतडा. मन वच काया निश्चल करी ए, सुण सुन्दरे, मंत्र नमोकार विचित्र, मालंतडा० ॥५३ मोक्ष हेतु अंगुष्ठ जपि ए, सुण सुन्दरे, तर्जनी अंगुली धर्म-काज, मालंतडा. मध्य अंगुली शान्ति हेतु ए, सुण सुन्दरे, अनामिका अर्थ-समाज, मालंतडा० ॥५४ कनिष्टका सर्व कार्य सिद्ध ए, सुण सुन्दरे, लक्षणस्युं जपो मंत्र, मालंतडा. मंत्र प्रसादें पामीइ ए, सुण सुन्दरे, दुर्धर जे परतंत्र, मालंतडा० ॥५५ अंगुली अग्र जे जप्यो ए, सुण सुन्दरे, जे जप्यो लंधी मेर, मालंतडा. ते सहु निःफल जाणवो ए, सुण सुन्दरे, उपजे पुण्य नहीं भूर, मालतडा० ॥५६ इम जाणि जत्न करो ए, सुण सुन्दरे, मंत्र जपो थई सावधान, मालंतडा. पुण्य घणो वली उपजे ए, सुण सुन्दरे, नासे विघ्न वितान, मालंतडा० ॥५७ सामायिक स्तव वंदन प्रतिक्रम ए, सुण सुन्दरे, कायोत्सर्ग प्रत्याख्यान, मालंतडा. अखंड पणे सदा कीजिये ए, सुण सुन्दरे, आवश्यक अभिधान, मालंतडा० ॥५८ समता सामायिक जाणीये ए, सुण सुन्दरे, जिन चोवीस स्तवन, मालंतडा. एक तणा जिण गुण ए, सुण सुन्दरे, ते वदन पावन्न, मालंतडा ५९ . दोषतणुं बालोचन ए, सुण सुन्दरे, ते कहीइ प्रतिक्रम, मालंतडा० । निन्दा गर्दा निज कीजिये ए, सुण सुन्दरे, टालिये पाप कुकर्म, मालंतडा० ॥६० निजशक्ति कायोत्सर्ग धरो ए, सुण सुन्दरे, ऊभा अथवा पद्मासन्न, मालंतडा. वस्त्र परित्याग जे कीजिए, सुण सुन्दरे, ते प्रत्याल्यान यति जन्न, मालंतहा० ॥६१ षट् आवश्यक नित पालीइ ए, सुण सुन्दरे, टालीये सकल प्रमाद, मालंतडा. पंच इन्द्री मन वश करी ए, सुण सुन्दरे, हारी हरष विषाद, मालंतडा० ॥६२ दंत विना हस्ती जिम ए, सुण सुन्दरे, दंष्ट्रथा विना जिम सिंघ, मालंतडा. आवश्यक विना जति तिम ए, सुण सुन्दरे, नवि सोहे वृत्त प्रसंग, मालतहा० ॥६३ सामायिकतणां दोष त्यजो ए, सुण सुन्दरे, त्यजीये पंच अतिचार, मालंतडा. मनवचकाया दुःप्रणिधान ए, सुण सुन्दरे, अनादर स्मृति अंतर आधार, मालंतडा० ॥६४ सामायिकपाठवचनें भणों ए. सण सन्दरे, संकल्प विकल्प सन्तान, मालंतडा. आर्त रौद्र जे चिन्तन ए, सुण सुन्दरे, ते मनि दुःप्रणिधान, मालंतडा० ॥६५ सुन विना पाठ भणि ए, सुण सुन्दरे, मुखे करे हुंकार, मालंतडा. पूर्वाक्य बोले वली ए, सुण सुन्दरे, वे वचन अतिचार, मालंतडा. ॥६६
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