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________________ ( १८२ ) अपने घरके दुश्चरित्रको, मंत्र और धन आदि आठ बातोंको सदा गुप्त रखनेका निर्देश ११५ ११६ नवम उल्लास ११६-११७ आश्चर्य हैं कि लोग पापके फलको प्रत्यक्ष देखकर भी पाप कार्यसे विरक्त नहीं होते ११६ जीव-घात, मद्य-पान, असत्य-भाषण, चोरी, पर-वंचन, परदारा-संगम, आरंभ परिग्रह, अभक्ष्य भक्षण, विकथा-आलाप और कुमार्ग-उपदेश आदिके द्वारा पापोंका उपार्जन होता है अतः उनके त्यागनेका उपदेश कृष्ण, नील और कापोत लेश्या रूप चिन्तवनसे, आर्त और रौद्र ध्यानसे तथा स्वपर-घातक क्रोध करनेसे दुर्गतिकी प्राप्ति होती है अतः उनके त्यागका उपदेश आठ प्रकारके मद करनेसे प्राणो नीच कुलादिको प्राप्त होता है, मायाचारसे दुर्गतियोंमें जाना पड़ता है, लोभसे उत्तम गुण भी दुर्गुण रूप हो जाते हैं इसलिए उक्त कषायोंका त्याग आवश्यक है यदि इन्द्रियोंके विषयोंका निग्रह है तो ध्यान अध्ययन आदि सब सफल हैं पापके उदयसे जीव पंगु, कोढ़ी, ऋणी, मूक, निर्धन और नपुंसक आदि होता है पापके उदयसे ही जीव, नारकी तियंच हीनकुली मनुष्य और रोगी आदि होता है, संसारमें जो कुछ भी बुरा दिखायी देता हैं वह सब पापका माहात्म्य है ऐसा जानकर मनुष्योंको पापोंसे बचना चाहिए ११७ बशम उल्लास ११८-१२२ पुण्य और पापका प्रत्यक्ष फल देखकर ज्ञानीको सदा धर्म ही करना चाहिए ११८ धर्माचरणके विना मनुष्य जन्म निरर्थक है ११८ धर्मकी महिमाका निरूपण ११८ अहंकार या प्रत्युपकारकी भावनासे दिया गया दान धर्मका साधक नहीं, किन्तु परोपकार ___ और दया बुद्धिसे दिया गया दान ही कल्याणका साधक है ११९ स्त्री लोह-शृंखलाके समान मनुष्यको घरमें बांधकर रखती है। अतः मनुष्यको धर्माचरणके लिए घरका त्याग आवश्यक है। बहिरंग और अंतरंग तपोंका वर्णन ख्याति लाभ पूजादिके लिए तपश्चरण करना शरीरको कष्टदायक एवं निरर्थक है १२० संसारकी वस्तुओंकी अनित्यताका विचार १२० जीवकी अशरणताका विचार १२०. संसार-परिभ्रमणताका विचार । १२० जीवके अकेले सुख दुःख भोगनेका चिन्तन १२१ शरीरसे जीवकी भिन्नताका विचार शरीरकी अशुद्धताका विचार १२१ ११९ १२० १२१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001554
Book TitleSharavkachar Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1998
Total Pages598
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Ethics
File Size13 MB
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