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________________ ४२ ४३ ४३ ४३ ( १७६ ) चतुर्थ उल्लास भोजनके पश्चात् विश्राम कर अपने सलाहकारोंके साथ गृहस्थको आय-व्ययका विचार करना ___चाहिए दो घड़ी दिन शेष रहनेपर ऋतुके अनुसार परिमित भोजन करना चाहिए रात्रि-भोजनका निषेध-सूर्यास्तके समय शरीरिक शुद्धि कर कुल-क्रमागत धर्म एवं कार्य करनेका विधान सन्ध्याके समय नहीं करने योग्य कार्योंका वर्णन सन्ध्या-कालका निरूपण पंचम उल्लास ४३-६५ सायंकालके समय जलाये गये दीपककी शिखाके द्वारा इष्ट अनिष्ट फलका वर्णन रात्रिमें देव पूजन, स्नान, दान और खान-पानका निषेध जीव-व्याप्त, छोटी और टूटी खाट पर सोनेका निषेध ४३ बाँबी वृक्षतल आदिमें सोनेका निषेध । शरीर, शील, कुल, वय, विद्या और धनादिसे सम्पन्न व्यक्तिको अपनी पुत्रीको देनेका विधान ४३ मूर्ख, निर्धन, और दूरदेशस्थ पुरुष आदि को कन्या दनेका निषेध उत्तम पुरुषके तीन स्थान गंभीर, चार स्थान ह्रस्व, पाँच स्थान सूक्ष्म, और पांच स्थान दीर्घ होते हैं स्वर्ग-नरक आदि चारों गतियोंसे आनेवाले और मरकर उनमें उत्पन्न होने वाले मनुष्योंके बाह्य चिह्न तिल, मसक आदि चिह्न पुरुषके दक्षिण भागमें और स्त्रीके वाम भागमें उत्तम होते हैं पुरुषका कर्कश और स्त्रीका कोसल हाथ प्रशंसनीय होता है। हस्ततलके विभिन्न वर्गों से मनुष्यको उच्चता और नीचताका विचार हस्ततल और अंगुलियोंकी विभिन्न आकृतियोंसे फलाफलका विचार हस्ततलको रेखाओंसे शुभाशुभका विचार ऊर्ध्वरेखा और आयु-रेखा आदिसे उनके सामुद्रिक फलका विचार मत्स्य शंख पद्म आदि चिह्न से उनके उत्तम फलका निरूपण धर्म-रेखा और पितृ-रेखा आदिके फलका वर्णन काक पदके आकारवाली रेखासे जीवनके अन्त भागमें आनेवाली विपत्तिका वर्णन विभिन्न अंगुलियोंके मध्यवर्ती छिद्रोंके फलका निरूपण विभिन्न वर्ण वाले नखोंके शुभाशुभ फलका वर्णन विवाह-योग्य कन्याके शारीरिक अंगोंके शुभ-अशुभ फलका विस्तृत वर्णन विषकन्याको पहिचान बताकर उसके त्यागनेका विधान सदोष और बहुरोम वाली हीनाचारिणी स्त्रियोंके सम्पर्क त्यागनेका उपदेश पद्मिनी आदि चार प्रकारको स्त्रियोंका वर्णन विरक्त स्त्रीको पहिचान कुलीन स्त्रियोंके कर्तव्योंका निरूपण ०४ ५३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001554
Book TitleSharavkachar Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1998
Total Pages598
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Ethics
File Size13 MB
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