________________
( ११३ ) ३. चोरी व्यसन त्यागके अतीचार-भागीदारके भागको हड़पना, भाई-बन्धुओंका भाग न
देना, अपने समीपवाली दूसरोंकी भूमिमें अपना अधि
कार बढ़ाना आदि। ४. शिकार व्यसन , ., -चित्रोंको फाड़ना, चित्रवाले वस्त्रोंको फाड़ना, मिट्टी
प्लास्टिक आदिसे बने जानवरोंको तोड़ना आदि। ५. परस्त्री सेवन व्यसन ,, ,, -अपने साथ विवाहकी इच्छासे किसी कन्याको दूषण
लगाना, गन्धर्व विवाह करना, कन्याओंको उड़ाकर
उनसे दुराचार कराना आदि । ६. मांस-भक्षण त्याग , , - -चमड़ोंमें रखे घी, तेल, जलादिका सेवन करना
चालित रसवाले दूध, दही आदिको खाना, खोलनफूलनवाले पक्वान्नों आदिको खाना, मांस-मिश्रित या
निर्मित दवाएँ बेचना आदि । ७. मद्य त्याग , , -सभी प्रकारके अचार, मुरब्बा, आसव आदिका सेवन
करना, मर्यादाके बाहरके अर्क पीना, कोकाकोला आदि पीना, गाँजा, अफीम, चरस, बीड़ी-सिगरेट आदि पीना,
मदिरादिका बेचना। ८. मधु त्याग
-गुलाब आदि फूलोंका खाना, उनसे बने गुलकन्द खाना, महुआ खाना, मधु-मिश्रित अवलेह आदि खाना, वस्तिकर्म, नेत्राञ्जन आदिमें मधुका उपयोग करना और मधु आदिका बेचना आदि।
( सागार० भा० २ पृ. २४-२६ गत श्लोक ) कुछ श्रावकाचारोंमें पूजन, अभिषेक आदिके भी अतीचार बतलाये गये हैं। यथा१. पूजनके अतीचार-पूजन करते हुए नाक छिनकना, खाँसी आनेपर कफ थूकना, जंभाई
लेना, अशुद्ध देह होनेपर भी पूजन करना, अशुद्ध वस्त्र पहन कर
पूजन करना आदि। २. अभिषेकके ,, -अभिषेक करते समय पाद-संकोच करना, फैलाना, भृकुटि चढ़ाना,
अति तीव्र या अति मन्द स्वरसे अभिषेक पाठ बोलना और वेगके
साथ जलधारा छोड़ना आदि। ३. मौन व्रतके ,, -हाथ आदिसे संकेत करना, खंखारकर बुलाना, थाली आदि बजा
कर बुलाना, मेंढकके समान टर्र-टर्र करते हुए अस्पष्ट बोलना या गुनगुनाना आदि।
(देखो-व्रतोद्योतन० भाग ३ पृ० २५५ श्लोक ४६२-६४ ) ४. अनस्तमित व्रत या रात्रिभोजन ।
त्याग व्रतके अतीचार-सूर्यास्तके पश्चात् भी प्रकाश रहने तक खाना-पीना, अन्न न १५
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org