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श्रावकाचार-संग्रह
मित्रानुरागः । एवं मया भक्तं शयितं क्रीडितमित्येवादि प्रीतिविशेष प्रति स्मृतिसमन्वाहार: सुखानुबन्धः । विषयतुखोत्कर्षामिलापभोगाकांक्षतया नियतं चित्तं दीयते तस्मिन् तेनेति वा निदानमिति।
इति श्रीमच्चामुण्डरायप्रणीते चारित्रसारे सागारधर्मः समाप्तः ।
पूर्व कालीन प्रीति विषयक बातोंको बार-बार याद करना सुखानुबन्ध हैं। उत्कृष्ट विषयसुख पानेकी अभिलाषा और भोगोंकी आकांक्षासे जिसके लिए या जिसमें नियत रूपसे चित्तको दिया जाय अर्थात् लगाया जाय, उसे, निदान कहते है। इस प्रकार श्रीमच्चामुण्डराय विरचित चारित्रसारमें सागार
धर्मका वर्णन समाप्त हुआ ।
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