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आभार
श्रेष्ठी श्री अनंतवीर्य जी जैन, हस्तिनापुर [मेरठ ], उ० प्र०
आप दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान के प्रति प्रारम्भ से ही अनन्य सहयोगी रहे हैं। आपकी धर्मपत्नी श्रीमती आदर्श देवी भी एक धर्मपरायण एवं धैर्यशील महिलारत्न हैं ।
४ मार्च १६६० को कार दुर्घटना में श्री अनन्तवीर्य जी का आकस्मिक निधन हो गया है । आप अपने पीछे एक पुत्र [ मनोज कुमार ] पुत्रवधू एवं दो पुत्रियों [कु० ममता, कु० विनीता ] को छोड़ गए हैं ।
श्री मनोज कुमार जैन एक सुयोग्य पुत्र के नाते अपने समस्त परिवार को एवं व्यापार को धैर्यपूर्वक संभाल रहे हैं तथा पूज्य गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी के आशीर्वाद और आदेशानुसार जम्बूद्वीप के समस्त कार्य-कलापों में सहयोग देकर पिताजी की क्षतिपूर्ति कर रहे हैं ।
देवशास्त्र गुरु भक्त स्वर्गीय श्री अनन्तवीर्य जी एवं उनके परिवार की ओर से इस अष्टसहस्री (प्रथम भाग ) के प्रकाशन में ग्रन्थमाला को ११००१ रु० का आर्थिक सहयोग प्राप्त हुआ एतदर्थ संस्थान उनके प्रति आभार व्यक्त करता है ।
सम्पादक -- ब्र० रवीन्द्र कुमार जैन
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