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फिर एक 'खमासमण' देकर इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! सामायिक संदिसाहुं ?' 'इच्छं' ऐसा कहकर--- एक 'खमासमण' देकर 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! सामायिक
ठाउं ?' 'इच्छं' ऐसा कहना । .१२ फिर दोनों हाथ मस्तकपर जोड़कर एक बार 'नमस्कार-मन्त्र'
गिनना। फिर 'इच्छकारी भगवन् ! पसायकरी सामायिक दंडक उच्चरावोजी ।' ऐसा कहना। तब गुरु अथवा पूज्य-व्यक्ति 'करेमि भंते !' सूत्र बुलवाये ! यदि गुरु अथवा पूज्य-व्यक्ति न हो तो सामायिक लेनेवालेको स्वयं यह सूत्र बोलना चाहिये । फिर एक 'खमासमण' देकर 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! बेसणे
संदिसाहुं ?' 'इच्छं' कहकर एक 'खमासमण' देकर१५ 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ? बेसणे ठाउं ?' 'इच्छं' कह कर
एक 'खमासमण' देकर--- 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! सज्झाय संदिसाहुं ?' 'इच्छं' कहकर दोनों हाथ जोड़ तीन बार 'नमस्कार-मन्त्र' बोलकर दो घड़ी अर्थात् अड़तालीस मिनिट तक धर्मध्यान करना। शास्त्रका पाठ लेना, उसका अर्थ सीखना, तत्सम्बन्धी प्रश्नोत्तर करना, धर्मकथा श्रवण करनी, अनानुपूर्वी गिननी, माला फिरानी. अरिहन्तका जप करना अथवा धर्मध्यानका अभ्यास करना, ये धर्मध्यान कहलाते हैं।
सामायिक पारनेकी विधि १ प्रथम एक ‘खमासमण' देकर 'इरियावही सूत्र' कहना । २ फिर 'तस्स उत्तरी०' 'अन्नत्थ०' कहकर 'चंदेसु निम्मलयरा'
तक एक 'लोगस्स'का अथवा चार नमस्कारका 'काउस्सग्ग' करना । बादमें 'काउस्सग्ग' पूर्ण करके
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