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हाथमें किसी प्रकारके अस्त्र-शस्त्र नहीं होते हैं, अतः वीतरागका
अपूर्व दृश्य उपस्थित करता है । प्रश्न-अरिहन्तके चैत्योंकी उपासना किस रीतिसे की जाती है ? उत्तर-अरिहन्तके चैत्योंकी उपासना अङ्गपूजा, अग्रपूजा और भावपूजा
द्वारा की जाती है। प्रश्न-अङ्गपूजा किसे कहते हैं ? । उत्तर--जल, चन्दन, पुष्पादिसे अरिहन्तके अङ्गोंका पूजन करना, उसे
अङ्गपूजा कहते हैं। प्रश्न-अग्रपूजा किसे कहते हैं ? उत्तर-अरिहन्तके चैत्यके समक्ष अक्षत, फल, नैवेद्य, धूप, दीपादि रखना,
उसे अग्रपूजा कहते हैं ? प्रश्न-भावपूजा किसे कहते हैं । उत्तर-अरिहन्त भगवान्की स्तुति-प्रार्थना करना तथा उनका ध्यान
धरना, उसे भावपूजा कहते हैं । प्रश्न-अरिहन्त भगवान्का ध्यान कैसे धरते हैं ? उत्तर-उसके लिये प्रधानतया कायोत्सर्ग किया जाता है और उसमें
अरिहन्त भगवान्के चैत्यका आलम्बन ( सहारा ) लिया जाता है । प्रश्न-आलम्बन लेनेका कारण क्या है ? उत्तर-आलम्बन लेनेसे मन उनपर स्थिर होता है। यदि आलम्बन नहीं
लें तो मन उनपर स्थिर नहीं होता। प्रश्न-अरिहन्त भगवान्के चैत्यका आलम्बन लेनेके पश्चात् क्या किया
जाता है ? उत्तर-प्रथम उनके वन्दनका निमित्त लेकर चित्तको एकाग्र किया जाता
है। तदनन्तर उनके पूजनका निमित्त लेकर चित्तको एकाग्र किया
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