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________________ ५४ प्रश्न-भावजिन किसे कहते हैं ? उत्तर-जो केवलज्ञान प्राप्त करके, अर्हत् बनकर समवसरणमें विराजित हों, उनको भावजिन कहते हैं । प्रश्न-शक्रस्तवमें कौनसे जिनोंकी वन्दना की गयी है ? उत्तर-भावजिनोंकी । इसकी अन्तिम गाथामें द्रव्यजिनोंकी भी वन्दना स्तुति की गयी है। प्रश्न-ये भावजिन कैसे हैं ? उत्तर-अरिहन्त ( अर्हत् ) हैं, भगवान् हैं। प्रश्न-अरिहन्त ( अर्हत् ) किसे कहते हैं ? उत्तर-जो महापुरुष मनुष्यों, राजाओं तथा देवोंसे पूजे जाने योग्य हों उनको अर्हत् कहते हैं । प्रश्न-भगवान् किसे कहते हैं ? उत्तर-जो भगवाले हों उनको भगवान् कहते हैं। भग-अर्थात् ऐश्वर्य, रूप, यश, श्री, धर्म और प्रयत्न ( पुरुषार्थ ) की सम्पूर्णता। प्रश्न-अरिहन्त भगवानोंकी वन्दना-स्तुति करनेका कारण क्या है ? उत्तर- कारण यह है कि वे आदिकर हैं, तीर्थङ्कर हैं तथा स्वयंसम्बुद्ध हैं । प्रश्न-आदिकर किसे कहते हैं ? उत्तर- जो आदि करें उन्हें आदिकर कहते हैं। अरिहन्त भगवान् केवल ज्ञानकी प्राप्तिके पश्चात्-'उपपन्नेइ वा, विगमेइ वा, धुवेइ वा- ( उत्पन्न होता है, नष्ट होता है और फिर भी स्थिर रहता है। जगत्के स्वभावका यह वर्णन है ) इस त्रिपदीद्वारा नवीन . द्वादशाङ्गी अथवा नवीन शास्त्रोंकी आदि करते हैं, इसलिए उन्हें आदिकर कहते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001521
Book TitlePanchpratikramansutra tatha Navsmaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Sahitya Vikas Mandal Vileparle Mumbai
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year
Total Pages642
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Worship, religion, & Paryushan
File Size23 MB
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