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________________ ५२७ (१) नमु० (२) जे अई० (३) अरिहं० (४) लोग० (५) सव्व० (६) पुक्ख० (७) तम० (८) सिद्ध० (९) जो देवा० (१०) उज्जित० (११) चत्ता० (१२) वेआवच्चग०। प्रथम अधिकार 'नमो त्थु णं' से 'जिअभयाणं' तक गिना जाता है। उसमें भावजिनको वन्दन करता हूँ। दूसरा अधिकार 'जे अ अईआ सिद्धा' से 'वंदामि' तक गिना जाता है, उसमें द्रव्य जिनको वन्दन करता हूँ। तीसरा अधिकार 'अरिहंत चेइआणं' से गिना जाता है, उसमें एक चैत्यमें रहे हुए स्थापनाजिनको मैं वन्दन करता करता हूँ। चौथा अधिकार 'लोगस्स उज्जोअगरे' इन पदोंसे गिना जाता है, उसमें नामजिनको वन्दन करता हूँ। पाँचवाँ अधिकार 'सव्वलोए अरिहंत चेइआणं' इन पदोंसे आरम्भ होता है, उसमें तीनों भुवनके स्थापना जिनोंको वन्दन करता हूँ। छठा अधिकार 'पुक्खरवरदीवड्ढे' से प्रारम्भ होता है, उसमें मैं विहरमान जिनोंको वन्दन करता हूँ। सातवाँ अधिकार इसी सूत्रके 'तम-तिमिर-पडल-विद्धंसणस्स' पदसे प्रारम्भ होता है, उसमें श्रुतज्ञानको वन्दन करता हूँ। आठवाँ अधिकार सिद्धाणं बुद्धाणं' पदोंसे चालू होता है। उसमें सर्व सिद्धोंकी स्तुति करता हूँ। ___ नौवाँ अधिकार इसी सूत्रके 'जो देवाण वि देवो' पदसे 'तारेइ नरं व नारिं वा' तकका गिना जाता है। उसमें वर्तमान तीर्थके अधिपति श्रीवीरभगवान्की स्तुति करता हूँ। दसवाँ अधिकार इसी सूत्रके 'उज्जित-सेल-सिहरे' पदसे शुरू Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001521
Book TitlePanchpratikramansutra tatha Navsmaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Sahitya Vikas Mandal Vileparle Mumbai
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year
Total Pages642
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Worship, religion, & Paryushan
File Size23 MB
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