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________________ ५०९ नहीं करना।) और खमा० प्रणि० करके 'इच्छकारी भगवन् ! पसाय करी पडिलेहणा पडिलेहावोजी!' ऐसे कहकर बड़े व्यक्तिका उत्तरीयवस्त्र पडिलेहना । ( ५ ) फिर खमा० प्रणि० करके कहना कि 'इच्छा० उपाधि-मुहपत्ती पडिलेहुं ? गुरु कहें-'पडिलेहेह' तब ‘इच्छे' कह कर मुहपत्तीकी पडिलेहणा करनी । (६) फिर खमा० प्रणि. करके इच्छा० सज्झाय करूँ ?' ऐसा कहकर सज्झायका आदेश माँगना । गुरु कहें-'करेह' तब घुटनोंपर बैठकर, एक नमस्कार गिन, 'मन्नहजिणाणं' की सज्झाय बोलनी । (७) फिर भोजन किया हो उसको 'द्वादशावत-वन्दन' करके और अन्यको खमा० देकर पाणहारका पच्चक्खाण करना। प्रातः तिविहार उपवासका पच्चक्खाण लिया हो और पानी नहीं पिया हो तो इस समय चउविहारका पच्चक्खाण करना और चउविहार उपवासवाले को 'पारिढावणिया' आगार रहितका 'सूरे उग्गए' चोविहारका पच्चक्खाण करना और कारण हो तो गुरुको आज्ञासे 'मुट्ठि-सहियं' का पच्चक्खाण करना। (८) फिर खमा० प्रणि० करके 'इच्छा० उपधि संदिसाहु ?' ऐसा कहना और गुरु कहें-'संदिसावेमि' तब 'इच्छं' कहकर खमा० प्रणि० करके फिर कहना कि 'इच्छा० उपधि पडिलेहउं ?' गुरु कहें-'पडिलेहेह' तब 'इच्छं' कहकर प्रथम पडिलेहनसे अवशिष्ट वस्त्रोंकी पडिलेहणा करनी। उसमें रात्रि-पोषध करनेवालेको प्रथम कमलीका पडिलेहण करना और फिर सर्व उपधि ( वस्त्रादि ) लेकर खड़ा होना। (९) फिर दंडासण याचकर काजा लेनेके नियमानुसार काजा लेना। ( 'मुट्ठिसहियं' का पच्चक्खाण करनेवालेको पानी वापरना हो तो नमस्कार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001521
Book TitlePanchpratikramansutra tatha Navsmaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Sahitya Vikas Mandal Vileparle Mumbai
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year
Total Pages642
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Worship, religion, & Paryushan
File Size23 MB
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